बुधवार, 25 मार्च 2015

पाकिस्तान दिवस पर जनरल वी के सिंह



.          एक बहस जोरों से जारी है कि पाकिस्तान दिवस पर जलनल वी के सिंह पाकिस्तानी दूतावास के समारोह में क्यों शामिल हुये ?
  मेरी समझ में नहीं आता है कि हमें पाकिस्तान दिवस पर पाकिस्तान की खुशी में क्यों नहीं शामिल होना चाहिये? क्या पडौसी के सुख दुख में शामिल होना गलत है? माना कि पाकिस्तान भारत का बॅंटवारा कर बनाया गया है लेकिन वह है। और उसके स्थापना दिवस समारोह  से मॅुह मोडकर हम ये साबित करते हैं कि हम दिल से पाकिस्तान के अस्तित्व को स्वीकार करने के लिये आज भी तैयार नहीं हैं। पाकिस्तान से वैमनस्यकता की जहॉं और बहुत सारी वजह हैं वहीं एक बडी वजह ये भी है। लेकिन हमारे ऐसा सोचने से हकीकत बदल तो ना जायेगी। पाकिस्तान इस धरती पर है और हमारे पडौस में ही है। इसलिये उसके हर सुख दुख से हमारा पडौसी का नाता है। केवल पडौसी का ही नहीं वरन खून का रिश्ता है। वैसा ही रिश्ता जैसा दो भाईयों के बीच बॅंटवारें की तमाम कडवाहटों के बीच जन्मजात होता है। जुदा हो चुके भाईयों के बीच भले ही बोलचाल तक ना हो लेकिन दुनिया उन्हें भाई के रूप में ही जानती और मानती है। अगर वो मिलकर नहीं रहते हैं तो उन्हें अलग अलग ठोक पीट कर ये एहसास करा दिया जाता है कि उनकी  भलाई मिलकर रहने में ही है हमेशा लडते झगडते रहने से उनका भला होने वाला नहीं है। जो बात समाज में सच है वही देश के स्तर पर भी सही है। जिस दिन ये बात भारत और पाकिस्तान के नेताओं की समझ में आ जायेगी उस दिन इस उप महाद्वीप में जरूर शान्ति छा जायेगी।

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