शनिवार, 28 मार्च 2015

आलू उत्पादक किसान



कुदरत का कहर है जो फसल हो गयी चौपट 
मौसम की मेहरबानी पे लाला लपेटता. 
गेहूॅं की बाल में न बचा एक भी दाना
होते जो सौ सौ दाने तो कैसे समेटता ?
---- अमरनाथ 'मधुर'.



.यूँ  तो हमारा देश कृषि प्रधान देश है लेकिन जब देश के अन्दर आलू उत्पादक किसान मौसम और बाजार की मार से कराह रहा है तब सारा देश क्रिकेट के विश्व कप में भारतीय क्रिकेट टीम के हारने से दुखी है किसान के जीने मरने की किसी को कोई चिन्ता नहीं है। सच पूछो तो हम नारा जरूर जय जवान और जय किसान का लगाते हैं लेकिन दोनों की ही हमें तनिक भी परवाह नहीं है। वरना भला क्रिकेट में हारने जीतने की चिन्ता करने की क्या जरूरत है ? क्या क्रिकेट से जनता की रोजी रोटी चलती है? यह तो निठल्लों का खेल है जिसे सटारिये संचालित करते हैं। आम जनता का इससे कुछ लेना देना नहीं है।
. इस साल आलू की बम्पर पैदावार हुई है। बाजार में आलू का भाव दो से पॉंच रूप्ये किलो है। बेमौसत की बारिस ने काफी आलू खराब भी कर दिया है बाकि जो बचा है उसके बाद में खराब हो जाने की आशंका है। आलू को कोल्ड स्टोर में जमा करने के लिये किसान कई कई दिन सडको पर पडा रहता है। कोल्ड स्टोर के बाहर ंआलू से लदी टेक्ट्रर ट्रालियों और बागियों की लम्बी कतार है। सरकार है कि कुछ नहीं देखती है बस अपनी धुन में भूमि हथियाओं बिल को पास कराने की जुगत में लगी है। फसल बीमा की रामधुन गाने वाले ओले और बारिस से बरबाद हुई एक भी जिन्स का मुवावजा देने को तैयार नहीं हैं। सरकार फसलों का लाभकारी मूल्य क्या देगी वह इतनी भी राहत नहीं दे रही है कि किसान को कर्जे से लिये गये खाद, बीज और बिजली बिल को चुकानेसे ही मुक्ति दे दे। कहा जाता है कि किसान गन्ना ज्यादा उगाता है जिसके कारण चीनी का उत्पादन भी ज्यादा होने के कारण बाजार में चीनी का उठान नही है। इसी कारण चीनी मिल गन्ने का भुगतान नहीं कर पा रही हैं। इसलिये किसान को चाहिये कि वह गन्ना ना उगाये अन्य फसलें उगाये।
. किसान की भी बात समझ में आ गई लेकिन उसने गेहूँ  उगाया  गेहूँ  का दाम नहीं मिला, उसने धान उगाया धान का दाम नहीं मिला उसने आलू उगाया आलू का दाम नहीं मिला। अब किसान क्या करे ? हावर्ड और कैम्ब्रिज में पढे ये अर्थशास्त्री  किसान का यह  क्यों   नहीं सलाह देते हैं कि वह खेती छोडकर सटटेबाजी करे.  किसान के बेटे भी क्रिकेट खेलें और दे दनादन रन बनायें। देश का भी भला अब खेती किसानी की चिन्ता करने से नहीं क्रिकेट बढिया खेलने से होगा । इसीलिये शायद मेरे जैसे चन्द कुंद  दिमागों के अलावा बाकि सारे लोग जो क्रिकेट में हार जीत से इतने फ्रिक्रमन्द रहते हैं वही असल बुद्धिजीवी हैं वही असल देशभक्त हैं।

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