शुक्रवार, 6 मार्च 2015

तुनक मिजाज वामपंथी

वामपंथी इतने तुनक मिजाज हैं कि कभी इकटठे नहीं रह सकते. वे किसी न किसी कारण से एक दूसरे को गैर मार्क्सवादी कहकर इकटठे काम करने या एक साथ बैठने से बचते रहते हैं लेकिन वही साम्प्रदायिक शक्तियों को रोकने के नाम पर जिस तिस की पालकी ढोने को तैयार रहते हैं। हर उस आदमी को जो साम्प्रदायिक शक्तियों के विरूद्ध होने का जरा भी दम भरता है उसे सत्ता तक पहूॅचाने में कोई कसर बाकि नहीं रखते हैं लेकिन वही व्यक्ति सत्ता में पहुॅचने पर या तो उन्हें दुत्कार देता है या उन्हें बेअसर कर देता है। आम आदमी पार्टी इसका ताजा उदाहरण है। वामपंथी ये सच जानते हैं लेकिन मानते नहीं हैं। वे बार बार यही भूल दोहराते हैं और दुत्कारे जाते हैं।
   आप में लडाई व्यक्तिगत वर्चस्व की नहीं है वह विचारधारा की भी है। सुधारवादी आप वामपंथी रूझान वाले कार्यकर्ताओं को बहुत दूर तक साथ लेकर नहीं चल सकती है। आप से ऐसी अपेक्षा भी नहीं थी किन्तु वे इतनी जल्दी करेंगें ऐसी आशा भी नहीं थी। आखिर कुछ राजनीतिक मर्यादा होती है कुछ शिष्टाचार होता है किसी बेदाग, समर्पित और प्रखर विचारक को यूॅं बेइज्जत कोई जरूरी तो नहीं है। अगर आपको सर्वेसर्वा ही बनना है तो बनें लेकिन यह न भूलें आपको सिर्फ बिजली पानी के लिये ही वोट नहीं मिली है आपको नई राजनीति के लिये भी जनता ने चुना है। लेकिन आप जो राजनीति कर रहे हैं वो नई तो किसी भी तरह नहीं है। यह वही राजनीति है जिसकी सडॉंध से हमारा लोकतंत्र गंधाता रहता है और जनता जिससे आजिज आ चुकी है।
सच बतलाना आप को खॉंसी की ही दवा बताई गई थी या कुछ और ही घुटटी पिलाई गई है ?

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