मंगलवार, 28 अप्रैल 2015

फेस बुक पोस्ट पर कमेन्ट

    कुछ व्यक्तिगत कारण से मैं फेस बुक पर बहुत कम वक्त दे पाता हूॅं। थोडा सा लिखता हूॅं बहुत सारा पढता हूॅं लेकिन कमेन्ट बहुत कम करता हूॅं। इसका पहला कारण यह है कि मेरे पास वक्त कम रहता है दूसरा कारण यह है कि सामने वाले के नाखुश हो जाने का डर रहता है। अब जिसने जो लिखा है सही समझकर ही लिखा होगा । इसलिये  क्यूॅं किसी को नाराज किया जाये ? जिन्होंने अच्छा लिखा है वो समर्थ लोग हैं उन्हें मेरे जैसे नाचीज के कमेन्ट की परवाह क्यों कर हो ?लेकिन जो नवाकुॅंकर हैं उन्हें थोडा सशक्त थोडा परिपक्व होने का अवसर देना चाहियेए अभी से नुक्ताचीनी करेंगें तो बेचारे लेखन से बिदक सकते हैं। प्रतिबद्ध लेखको से भिडने का कुछ फायदा नहीं है इसलिये उनकी पोस्ट पर कमेन्ट से दूर ही रहता हूॅं लेकिन जहॉं ये लगता है कि जो लिखा गया है वो जान पूछकर गलत नीयत से लिखा गया है तो उसका खुला विरोध करना अपनी जिम्मेदारी समझता हूॅं फिर लेखक अपना कितना ही अजीज हो कितना ही सिद्ध हो कितना ही प्रसिद्ध उसकी परवाही नहीं रहती है। शायद इसी का परिणाम है कि धीरे धीरे मेरी पोस्ट पर कमेन्ट होने कम हो गये हैं। एकाध मित्र ने शिकायत भी की कि जब आप हमारी पोस्ट पर कमेन्ट नहीं करते हो तो हम क्यूॅं करें ? अब ऐसा तो मैंने सोचा ही ना था कि मैं कमेन्ट करूॅॅंगा तो मुझे कमेन्ट मिलेगें। ऐसी परवाह तो मैंने कभी कवि सम्मेलनों में भी नहीं की है जहॉं की सारी राजनीति ही यह रह गई है कि मैं तुम्हें एक कवि सम्मेलन में अच्छा पेमेन्ट दिलवाता हूॅं तुम मुझे किसी अन्य जगह अच्छा पेमेन्ट करवा देना। 
  मैं नहीं जानता कि दूसरे क्यूॅं लिखते हैं लेकिन मेरा लेखन ना तो शोहरत के लिये है, ना दौलत के लिये और ना ही स्वान्त सुखाय है। मैं लिखता हूॅं क्योंकि मुझे लगता है कि लिखना जरूरी है। मैं पेशेवर लेखक नहीं हूॅं। जिस दिन मुझे लिखने की जरूरत महसूस ना होगी उस दिन मैं अकेला गुनगुनाना चाहूॅंगा, फूलों और तितलियों के संग वक्त बिताना चाहूॅंगा।
 मेरे कुछ मित्रों को लगता है कि मैं उनकी पोस्ट नहीं पढ रहा हूॅं इसलिये वो मुझे टैग करते रहते हैं। कभी मेरी वाल पर इनकी संख्या इतनी बढ जाती है कि मुझे अपनी  वाल पर अपनी पोस्ट खोजने में ही काफी वक्त लग जाता है। मैं अपने अजीज दोस्तों को पूरे सम्मान के साथ निवेदित करना चाहता हूॅ मैं उन्हें पूरी दिलचस्पी से पढता हूॅं और अगर वो मुझे ना भी टैग करेंगे तो मैं भी मैं उन्हें पढता रहूॅगा। इसलिये विनम्र अनुरोध है कि टैग ना करें इससे ऐसा लगता है जैसे कोई आपके घर की सारी दीवार को इश्तहार से छाप गया है। अब आपकी पोस्ट को इश्तहार तो नहीं होना चाहिये और मेरे घर की दीवार भी मेरी रहनी चाहिये। हमारी आवाज भी आपकी आवाज है आप उस में अपनी आवाज मिलाकर देखिये आपका सदैव स्वागत है। 

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