सोमवार, 27 अप्रैल 2015

सरहद सुरक्षित नहीं है

ये सरहद तूफ़ान नहीं रोकती  है  
ये सरहद भूकम्प नहीं रोकती है  
ये सरहद बहुत असुरक्षित है  
इस सरहद को और मजबूत करो 
सरहद पर टैंक,तोप और बारूद लगा दो. 

   बाँध और बिजलीघर बनाने से पहले नेपाल हजार बार सोचेगा तो कुछ सुरक्षित रहेगा. नदियों पर बाँध बांधकर बिजली बनाकर बेचने और पहाड़ काटकर पर्यटकों के लिए सड़के और होटल बनाने का विकास का जो फार्मूला दिया जाता है उससे भूकम्प जैसी आपदाएं और ज्यादा आएँगी. ये आपदाएं कुदरती नहीं हैं ये इंसानों की करतूतों का नतीजा है.ये ठीक है कि भूगर्भ कि प्राकृतिक हलचलों के कारण भी भूकम्प आते हैं लेकिन जान माल का इतना बड़ा नुकसान मानव द्वारा प्रकृति के अंधाधुंध दोहन का परिणाम है जिससे काफी हद तक बचा जा सकता है. अगर हम प्रकृति के साथ अप्राकृतिक व्यवहार जारी रखेंगे तो प्रकृति भी दण्डित करने से न चूकेगी .यह उसकी इच्छा नहीं मानवीय दुष्कृत्य की स्वाभाविक परिणति है. इसलिए विकास के लिए प्रकृति का कम से कम क्षरण और दोहन हो तो सभी के हित में रहेगा .

      सुना था 'बड़ी ही कठिन है डगर पनघट की' अब पनघट कभी देखा नहीं इसलिए ये भी नहीं पता कि पनघट की डगर कठिन कैसे होती है ? लेकिन ये जरूर समझ में आता है कि विकास की राह बहुत कठिन है. अगर विकास करना है वही विकास जिसे विकास समझा जाता है तो प्रकृति को नुकसान पहुँचेगा ही पहुँचेगा. अगर विकास नहीं करेंगे तो कई सुविधाओं और ऐश से वंचित रहेंगे और दुनिया भर में सबसे पीछे होंगे.इसलिए जब तक विकास की अवधारणा नहीं बदलती है तब तक प्राकृतिक आपदाएं ऐसे ही आती रहेंगी .उनके आने की गति तेज होगी काम होने वाली नहीं है. विकास की वैकल्पिक अवधारणा विकसित करनी होगी .आखिर कारखाने बनाने और बिल्डिंगें कड़ी करने को ही विकास क्यों माना जाए बागबानी को विकास क्यों न माना जाए ? नदियों को प्रदूषित और नियंत्रित करने को ही विकास क्यों माना जाए उन्हें स्वच्छ और सतत प्रवाही बनाने को विकास क्यों माँ माना जाए ? मिसाइल और परमाणु बमों को ही विकास क्यों माना जाए तितलियों और परिंदों की उड़ान को विकास क्यों न माना जाए ?

    विकास का नजरिया कुछ बदलने की जरुरत है .जो हो रहा है अगर वही विकास है तो फिर विनाश किसे कहते हैं ? आज जो कहर हम झेल रहें हैं ये उस विकास का प्रतिफल है जिसे हमने आधुनिकता और उच्चता माना है .आओ थोडा ठहर कर फिर सोचें भले ही दुनिया हमें पिछड़ा बताये .लेकिन थोड़ा पीछे रह जाने में हर्ज भी क्या है ?

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