शनिवार, 2 मई 2015

नाम में क्या रखा है ?

    
    हिंदी में लिखा, उर्दू में लिखा फिर भी फेसबुकिया मित्र मेरे नाम को 'मधुर' नहीं 'माथुर' ही लिखते हैं. जब तक अंग्रेजी में था तब तक तो कोई बात न थी मैं समझ जाता था कि पढने वाले ने ये सोचकर माथुर पढ़ा है कि मेरी अंग्रेजी कमजोर है इसलिए स्पेलिंग लिखने में मिस्टेक हो गयी होगी .इसमें कुछ गलत भी नहीं है मेरी अंग्रेजी वाकई में कमजोर है. लेकिन हिंदी में लिखे को पढने में क्या समस्या है ? कुछ भाई लोग तो ये माने बैठे हैं कि ये 'मधुर' हो ही नहीं सकता है, ये असल में माथुर ही है .इस बात में भी मेरी नीम रजाबंदी है. मैं माने लेता हूँ कि मैं 'मधुर' नहीं हूँ लेकिन आपको कौन सा मुझे चखना है ? आप तो मुझे पढ़ते भर हैं जिसमें कडुवी सच्चाई होती है, जो सबको मधुर नहीं लग सकती है लेकिन होती हितकारी है. बस मैं ऐसे ही 'मधुर' हूँ. जिन्हें मेरे 'मधुर' होने में आपत्ति हो या मुझसे असहमत हों वो मुझे 'अमरनाथ' समझ लें .बस इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कर सकता हूँ .वैसे यथा नाम तथा गुण होना अनिवार्य नहीं है. ज्यादातर तो विपरीत ही मिलता है .फिर मुझसे ही मधुर होने की अपेक्षा क्यों की जाती है ?

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