दीवारों को ढूँढ रहा हूँ, सिर मारूँगा
पहले खुद से जूझ रहा हूँ फिर मारूँगा .
गुरु द्रोण हैं, दुर्योधन है, दुःशासन है
चक्रव्यूह में घुस जाने दो घिर मारूँगा .
वो द्वापर था देख बड़ों को रुक जाता मैं
अब कलयुग को देख रहा हूँ, थिर मारूँगा.
काट दिए हैं पाँव मेरे तो इससे क्या है ?
मैं सारे दुश्मन धरती पर,गिर मारूँगा .
मैं न पैदा हुआ कवच कुण्डल को लेकर
मारो भी तलवार शीश में, चिर मारूँगा .
पहले खुद से जूझ रहा हूँ फिर मारूँगा .
गुरु द्रोण हैं, दुर्योधन है, दुःशासन है
चक्रव्यूह में घुस जाने दो घिर मारूँगा .
वो द्वापर था देख बड़ों को रुक जाता मैं
अब कलयुग को देख रहा हूँ, थिर मारूँगा.
काट दिए हैं पाँव मेरे तो इससे क्या है ?
मैं सारे दुश्मन धरती पर,गिर मारूँगा .
मैं न पैदा हुआ कवच कुण्डल को लेकर
मारो भी तलवार शीश में, चिर मारूँगा .
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