शनिवार, 9 जुलाई 2016

ढाका


फराज के भाई जराफ हुसैन ने बताया कि उसने दोस्तों लिए अपनी जान देकर साबित कर दिया कि सच्चा मुसलमान हिंसा का पैरोकार नहीं हो सकता।


 ढाका आर्ट गैलरी की पूर्व अध्यक्ष इशरत अखोंड ढाका आतंकवादी हमले में मारी गई, क्योंंकि उसने हिजाब नहीं पहन रखा था। उसे बर्बरता पूर्वक मार डाला।

इशरत ने साहस दिखाया। वह बच जाती, अगर आतंकियों के सामने झुक जाती, लेकिन उसने हिम्मत दिखाई। सिद्धांतों पर डटी रही। इशरत ने आतंकियों के सामने कुरान पढऩे से मना कर दिया। हिजाब नहीं पहनने और कुरान पढ़कर नहीं सुनाने के कारण उसकी हत्या कर दी गई।
आपको बता दें इशरत रेस्तरां में इटली के अपने फैशन डिजायनर दोस्तों के साथ थी। इशरत एक बड़ी गारमेंट कंपनी की ह्यूमन रिसोर्स डायरेक्टर थी। प्यार से उन्हें नीला कहकर पुकारा जाता था।
गौरतलब है कि ढाका अटैक में आतंकियों ने कैफे में 20 लोगों को नृशंस हत्या की। कई लोगों को गला रेतकर मार डाला। इनमें से एक थी साहसी इशरत अखोंड। रेस्तरां में ज्यादातर मुस्लिम बांग्लादेशियों को छोड़ दिया गया। जिन लोगों ने कुरान की आयतें पढ़ी, उन्हें जाने दिया गया।

इशरत के बारे में उनके एक दोस्त का लिखा पोस्ट सोशल मीडिया में वायरल हो गया है। कोलकाता के रहने वाले प्रोफेसर अलोक कुमार ने लिखा है कि इशरत अब नहीं है... मेरी दोस्त इशरत को बर्बरतापूर्वक प्रताड़ित किया गया और उसकी हत्या की गई। रेस्तरां में इशरत इटली के अपने फैशन डिजायनर दोस्तों के साथ थी।


रेस्तरां में ज्यादातर मुस्लिम बांग्लादेशियों को छोड़ दिया गया। जिन लोगों ने कुरान की आयतें पढ़ी उन्हें जाने दिया गया। इशरत ने हिजाब नहीं पहना था और न ही उसने यह साबित करने की कोशिश की कि वह मुस्लिम है। इशरत की तेज हथियार से बर्बरतापूर्वक हत्या कर दी गई।

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