मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

मैं बागी नहीं हूँ .

कुछ न कहो 
कुछ भी न कहो 
कुछ न कहने से 
भूख भूख नहीं रहती 
दर्द दर्द नहीं रहता 
आदमी समझदार कहलाता है
समझदार कभी कुछ नहीं कहता है
मुश्किल ये है कि
भूख अभी भी अंतड़ियां जलाती है
बच्चे भूख भूख चिल्लाते हैं
बच्चे समझदार नहीं होते हैं
मेरी परेशानी ये है कि
मैं उन्हें कैसे समझाऊँ
कि चिल्लाना बगावत है
मूर्खता है
कि समझदार आदमी चुप रहता है
चुप रहने से भूख भूख नहीं रहती है
दर्द दर्द नहीं रहता है
मेरी पीढ़ी दर्द सहती है
लेकिन कुछ नहीं कहती है,चुप रहती है
कुछ कहना बगावत है
मैं बागी नहीं हूँ .

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