शनिवार, 8 जुलाई 2017

चीन,भारत और इजराइल

 फिलिस्तीनियों का क्या कसूर था जो उनके देश के दो टुकड़े कर दिए गए ?बंटवारे में इजराईल को छोटा और फिलस्तीन को बड़ा भूभाग दिया गया था लेकिन इजराईल ने लगातार अपनी दादागिरी करते हुए फिलस्तीन का अधिकाँश भाग हड़प लिया है और अभी भी अपने पैर फैलाता जा रहा है | भारत में भक्त गण इसे इजराईल की बहादुरी कहते हैं | उन्हें कराहते चिल्लाते फिलस्तीनी नहीं दिखाई देते हैं, उन्हें मासूम फिलिस्तीनियों पर बम बरसाने वाले इजरायिली बहादुर दिखते हैं वे उनसे प्रेरणा लेने की बात करते हैं | दूसरे मुल्क की जमीन कब्जा लेना बहादुरी कैसे है? और ये कैसे समर्थन के काबिल है ? इसका उन के पास कोई जबाब नहीं है |
अगर इजराईल का विस्तारवादी रवैया गलत नहीं है तो फिर चीन के विस्तारवाद को कैसे रोका जाएगा ? चीन जो तिब्बत को हजम कर गया है और लगातार अपनी पडौसी देशों की सीमा का अतिक्रमण करता रहता है | आज इजराईल अपने पडौसी देशों के लिए चीन जैसा ही है सिर्फ क्षेत्रफल में छोटा होने से उसकी विस्तारवादी नीतियों को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए | जब तक फिलस्तीन को इजराईल अपने समकक्ष देश का दर्जा नहीं देता है और जबरन कब्जाए गए फिलस्तीनी भूभाग से उसकी वापसी नहीं होती है वो एक जिम्मेदार देश के सम्मान का हकदार नहीं है |
इजराईल की भारत द्वारा बहुत दिनों तक अनदेखी की गयी जो सही नीति नहीं थी | इजराईल के साथ एक दोस्त की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए | एक अच्छे दोस्त की ये जिम्मेदारी बनती है कि वो अपने दोस्त को गलत कामों को करने से रोके | भारत इजराईल को फिलस्तीनियों पर अत्याचार करने से रोकना चाहिए| यही इजराईल के भी हित में है | क्या भारत ऐसा करेगा ?

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