शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

तुम सा ना जिया जाये, तुम सा ना मरा जाये,
रिस रिस के मृत्यु को हमसे ना सहा जाये। तुम सा.............।।

सारी ही उम्र जिये कुछ तुम तो ऐसे ,
दिल तो हो ओर कहीं देह कहीं जैसे।
गाते थे आँख मूँद, दिल ना दुखा जाये।। तुम सा.......।।

स्वप्न भी सुनहरे थे बात भी रसीली थी,
चाल भी रंगीली थी गात भी गठीली थी।
भोग रोज राज रोग किससे कहा जाये ? तुम सा.........।।


जीना और मरना क्या ? कर्मों का लेखा है,
सब कुछ है जीवन में तुमने तो देखा है।
पर किसने माना ये, किसको समझा पाये?
तुम सा ना जिया जाये, तुम सा ना मरा जाये ।।

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