रविवार, 28 अप्रैल 2019

जो पास हुये बेकारों की लम्बी कतार में लग जायें
जो फेल हुये कुछ काम करें सीधे वो अपने घर जायें।
जो घर के किसी काम के न, जिनसे पड़ौस के लोग दुखी
वो राजनीति की राह चुनें सबके नेताजी बन जायें ।



आतंकी खुश मुखबिर भी खुश, करके अपमान शहीदों का 
लगता सारा ही व्यर्थ हुआ, अब तक बलिदान शहीदों का।
पर लोकतंत्र की खुली हवा, मतदाता की लम्बी कतार 
विश्वाश हमें कायम रखेगी, ये सम्मान शहीदों का ।



खतरे में है न्यायपालिका, संविधान है खतरे में
वीर शहीदों की कुर्बानी स्वाभिमान है खतरे में।
जागों देशवासियों जागों तुम्हीं बचा सकते हो अब
देखो बापू के सपनों का हिन्दुस्तान है खतरे में ।

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