मंगलवार, 11 जून 2019

मैं नींव का छोटा पत्थर हूँ 
मुझको सबसे पहले रखना. 

मैं नयी क्रान्ति की वेदी पर 
गाड़ा जाऊं सबसे पहले
वीरों के कटते शीश जहाँ 
ये शीश कटे सबसे पहले 

मेरे लोहू की लाली का ये 
ध्वज सदा ऊँचा रखना . 
मैं नींव का छोटा पत्थर हूँ 
मुझको सबसे पहले रखना . 

रंगत न इसकी हल्की हो 
इसमें वीरों की झल्की हो 
कुछ यादें खट्टी मीठी हों 
कुछ बातें हल्की फुल्की हों 

इस जीवन में घटने वाली 
हर घटना,दुर्घटना रखना

ये ध्वज बने जीवन गाथा
झुकता इसको मेरा माथा
मेरा जीवन अनमोल नहीं
मैं आज भी हूॅं मै कल भी था

अनमोल है जीवन सपनों का
तुम सपने सब जिन्दा रखना

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