शनिवार, 13 जुलाई 2019

प्रतिपक्ष शून्य सर्वोच्च सदन
है कंठ रुँधा खामोश रुदन |
ये कौन समिधा डाल रहा
करता मरणांतक यज्ञ हवन |

ये और नहीं खुद रावण है
है बीस बाहु, दस आनन् है |
ये छल बल से बढ़ता जीता
रखता कायम दु:शासन है |

इससे सब साथी छले गये
खामोश रहे या चले गये ।
जो यदा कदा कुछ बोल उठे
वो दमन चक्र में दले गये ।

ना रहम कोई ना माफी है
ये कंस बड़ा ही पापी है ।
कितने पुत्रों की बलि चढ़ी
रोती मातायें काफी हैं ।

कोई कितने दिन सहन करे
ये पाप बोझ क्यूँ वहन करे ।
वो कायर है जो चुप बैठा
बस नमो नमो का भजन करे।

नाकाफी एक कन्हैया है
हम सब भी दाऊ भैय्या हैं ।
गर चक्र सुदर्शन उठा लिया
समझो हर एक कन्हैया है ।

हारें हैं तो जीतेंगे भी
फिर से रण में खीचेंगे भी ।
उड़ने दो अभी गगन में तुम
रगडेंगे भी, भींचेगे भी  ।

हर आँसू का लेंगे हिसाब
कर देंगे सारे हवा ख्वाब ।
जनता की खुली अदालत में
माँगेंगे इससे सब जबाब ।

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