रविवार, 22 सितंबर 2019

कुछ इस तरह से मैंने जीने का सामान कर लिया


                                  1
कुछ इस तरह से मैंने जीने का सामान कर लिया
किसी से हाथ जोड़ ली किसी का मान कर लिया।
चढ़ा रहे थे दोस्त तो मुझे, बड़े खजूर पे
चढ़ा मगर गिरा नहीं जमीं का ध्यान कर लिया।


                       2

जोशी भी निन्दित यहाँ निन्दित चिन्मयानन्द|
स्वावलम्बी रहते अगर मिलता परमानन्द ||


                        3


तितलियों को कैद करना और फिर उनको उड़ाना
ये शगल है या है फितरत सोचकर सबको बताना ।
फूल मुरझाये चमन में, बुलबुलें खामोश हैं सब
किस तरह अच्छा लगेगा यूँ तेरा खुशियां मनाना ।

मर गयी जो कैद में वो तितलियां कैसे जियेगीं ?
नोच डाले पंख जिनके वो भला कैसे उड़ेंगी ?
जब चमन वीरान सारा फूल मुरझाये हुए हों
बुलबुलें गायेगीं कैसे तितलियां कैसे उड़ेंगी ?


4


कौन है सच्चा ?कौन है झूठा ? सब तो रंगें सियार हैं 
जो गद्दी पर बैठ गए सब जेलों के हकदार हैं |
भोली जनता बेबस जनता चुनती है सिर धुनती है 
पहले भ्रष्टाचारी थी ये अपराधी सरकार है |

5

बरसों तक सहवास तुम्हारा अच्छा था 
दिल भी था कुछ ख़ास तुम्हारा अच्छा था 
सिवा तुम्हारे इतने दिन कुछ ना देखा 
नीचे पहन रहे थे जो तुम कच्छा था |

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