रविवार, 22 मार्च 2020

मुझको तुमसे एक कहानी कहनी थी
भूल गया जो बात पुरानी कहनी थी।


आंखों में कुछ स्वप्न सजाकर रखे हैं
कुछ शर्माकर कुछ मुस्काकर रखे हैं।
जीवन का गुलदान सजाना था मुझको
सारे के सारे महका कर रखे हैं |
उजड़ी उजड़ी राह सुहानी रहनी थी |









0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें