कुछ नास्तिक किस्म के लोग कहते हैं कि मंदिर क्यों बनाते हो फैक्ट्री लगाओ ,अस्पताल बनाओ, यूनिवर्सिटी बनाओ |
मैं पूछता हूँ कि मंदिर क्यों ना बनायें ? मंदिर बनाने में अपना खर्च ही क्या होता है ? सब तो भक्त दान में दे देते हैं | जी एस टी की तरह किसी की जेब से जबरदस्ती थोड़े ही लेना पड़ता है| आपने अभी गुजरात के एक मंदिर के निर्माण के लिए दान की खबर पढ़ी ही होगी कि कैसे भक्तों ने कई करोड़ रुपये आनन् फानन में दान दे दिए| उधर कारखाने हों या अस्पताल, यूनिवर्सिटी हो या स्टेडियम सबके बनाने में सरकार का करोड़ों रूपया खर्च होता है और बदले में मिलता क्या है ? बाबाजी का ठल्लू |कुछ नहीं मिलता है | फैक्ट्रियां ठप्प पड़ी रहती हैं जो एक दिन मजबूरी में बेचनी पड़ती हैं| अस्पताल में भूखे नंगें गदंगी फैलाये रहते हैं| स्टेडियम बनाओ तो वो भी बेकार साबित होते हैं | मैडल कोई लाता नहीं है, सब सैर सपाटा करके लौट आते हैं | रही यूनिवर्सिटी बनाने की बात तो ये तो बिल्कुल फिजूल का सिरदर्द मोल लेना है | यूनिवर्सिटियों में टुकड़े टुकड़े गैंग पनपने के सिवा और क्या होता है ? ऐसी पढ़ाई कराने से तो इनको अनपढ़ रखना अच्छा है | फिर इन सबमें खर्चा भी कितना हो जाता है और आमदनी कुछ है नहीं |
उधर मंदिरों को देखो| एक एक मंदिर में करोड़ों का चढ़ावा आ रहा है | चाहो तो उससे कितनी ही सरकारों को संभाल सकते हैं | मंदिर के सेवकों और पुजारियों को भी सम्मानजनक और आरामदायक काम मिलता है | सब तरह के मुफ्त लाभ के अलावा और कई तरह की वैध अवैध ऐश भी करने को मिलती है | बाकी रही आम आदमी के कारोबार की बात तो नजर घुमाकर देखिये मंदिर के अगल बगल कई तरह के कारोबार फलते फूलते नजर आएंगे | भिक्षावृति की सहूलियत भी मिलती ही है | वरना भिक्षाटन के लिए कहाँ कहाँ मारे मारे ना फिरना पड़ता ? इसलिए हमारी सरकार से ये मांग है कि वो चाहे अस्पताल ना बनाये, स्कूल ना बनाये ,कारखाने ना लगाए लेकिन हर छोटे बड़े शहर में एक गगन चुम्बी मंदिर जरूर बनवा दे या कम से कम एक विशाल मूर्ति ही लगवा दे | नौजवान कहाँ कहाँ रोजगार के लिए भटकते फिरेंगे? कुछ ना कुछ रोजगार उसके साये में ही कर लेंगे | वैसे भी कुछ लाभदायक और गोपनीय धंधों के लिए इससे बेहतर जगह नहीं होती है |
अब से पहली सरकारें तो सेकुलर थीं और नास्तिकों के दबाव में भी रहती थीं इसलिए उन्होंने तो ज्यादा कुछ नहीं किया लेकिन सरकार आप तो राम भक्त हैं और हम आपके भक्त हैं | इसलिए आप ये सब शुभ काम अब कर ही डालो | क्या पता ऐसा अच्छा अवसर फिर आये या ना आये ? अच्छा जी चलता हूँ बहुत बतिया लिए| राम राम जी |
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