बुधवार, 25 मार्च 2020

कोरेना

बहुत मन था कभी कुछ रोज हम कश्मीर में रहते
मजा देखो की घर बैठे ही है कश्मीर का मंजर |
ज़रा खिड़की से क्या झांके घुड़कते हैं पुलिस वाले
समझ में क्यूँ नहीं आता कहा तुमसे रहो अंदर |



जो निकल भागा है बचकर आज अस्पताल से 

समझ लो कोरेना का वो शख्श ही बीमार है |



थोड़ा खांस के घर के अंदर पांव रखा था ही मैंने 

अंदर से आवाज उठी रुक जाओ कहाँ मरे जाकर |
कितना समझाया था तुमको घर के अंदर रहा करो 
पता नहीं क्या लड्डू मिलते हैं घर से बाहर जाकर |

लगा लिए हैं खांसी जाने किस बीमारी की जड़ है 

फील रहा कोरेना मुझको तो लगता कुछ गड़बड़ है |
पहले मेडिकल में जाओ चेकअप अपना करवाना 
जब सब ठीक ठाक हो जाए तब घर के अंदर आना |



बोल तो दिया है साहिब आप अपने घर रहो
पर क्या करें कैसे रहें अपना कोई घर भी तो हो ?


0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें