बहुत मन था कभी कुछ रोज हम कश्मीर में रहते
मजा देखो की घर बैठे ही है कश्मीर का मंजर |
ज़रा खिड़की से क्या झांके घुड़कते हैं पुलिस वाले
समझ में क्यूँ नहीं आता कहा तुमसे रहो अंदर |
जो निकल भागा है बचकर आज अस्पताल से
समझ लो कोरेना का वो शख्श ही बीमार है |
थोड़ा खांस के घर के अंदर पांव रखा था ही मैंने
अंदर से आवाज उठी रुक जाओ कहाँ मरे जाकर |
कितना समझाया था तुमको घर के अंदर रहा करो
पता नहीं क्या लड्डू मिलते हैं घर से बाहर जाकर |
लगा लिए हैं खांसी जाने किस बीमारी की जड़ है
फील रहा कोरेना मुझको तो लगता कुछ गड़बड़ है |
पहले मेडिकल में जाओ चेकअप अपना करवाना
जब सब ठीक ठाक हो जाए तब घर के अंदर आना |
बोल तो दिया है साहिब आप अपने घर रहो
पर क्या करें कैसे रहें अपना कोई घर भी तो हो ?
मजा देखो की घर बैठे ही है कश्मीर का मंजर |
ज़रा खिड़की से क्या झांके घुड़कते हैं पुलिस वाले
समझ में क्यूँ नहीं आता कहा तुमसे रहो अंदर |
जो निकल भागा है बचकर आज अस्पताल से
समझ लो कोरेना का वो शख्श ही बीमार है |
थोड़ा खांस के घर के अंदर पांव रखा था ही मैंने
अंदर से आवाज उठी रुक जाओ कहाँ मरे जाकर |
कितना समझाया था तुमको घर के अंदर रहा करो
पता नहीं क्या लड्डू मिलते हैं घर से बाहर जाकर |
लगा लिए हैं खांसी जाने किस बीमारी की जड़ है
फील रहा कोरेना मुझको तो लगता कुछ गड़बड़ है |
पहले मेडिकल में जाओ चेकअप अपना करवाना
जब सब ठीक ठाक हो जाए तब घर के अंदर आना |
बोल तो दिया है साहिब आप अपने घर रहो
पर क्या करें कैसे रहें अपना कोई घर भी तो हो ?

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