कमाल अतातुर्क पाशा ने 1920 में टर्की की सत्ता संभाली और इस्लाम को राज धर्म से खारिज कर देश को धर्म निरपेक्ष राष्ट्र घोषित कर दिया .
बहुविवाह ग़ैर-क़ानूनी घोषित कर दिया गया। इसके साथ ही पतियों से यह कहा गया कि वे अपनी पत्नियों के साथ ढोरों की तरह-व्यवहार न करके बराबरी का बर्ताव रखें।
वो सन उन्नीस बीस से सैंतीस का समय था जब विश्व समानता, स्वतंत्रता और बन्धुत्व् की राह पर डगमगाता हुआ बढ़ रहा था लेकिन कमाल अतातुर्क पाशा के नेतृतव में तुर्की ने ऐसी सरपट दौड़ लगाई कि वो इस्लामी कट्टरवाद तथा अंध आस्था कि अंधी गलियों से निकलकर विश्व के प्रगतिशील आधुनिक राष्ट्रों की कतार में खड़ा हो गया .
लेकिन आश्चर्य की देखिये टर्की उस सुनहरे पथ को छोड़कर फिर उन्हीं अंधी गलियों में लौट रहा है जिसने उसे यूरोप के 'बीमार राष्ट्र' का तमगा दिया था.
तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप एरदोगन ने महिलाओं के संबंध में एक विवादित बयान दिया है। लैंगिक समानता और परिवार नियोजन कार्यक्रमों को इस्लाम विरोधी बताते हुए तैय्यप ने कहा कि महिलाएं बच्चा पैदा करने के लिए ही होती हैं। एरदोगन ने मुसलमानों से परिवार नियोजन या जनसंख्या नियंत्रण के कार्यक्रमों में शामिल नहीं होने की बात भी कही।
एरदोगन ने ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने को मुसलमानों के लिए पवित्र कार्य बताया। उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन की पश्चिम की देन है। इसमें किसी भी मुस्लिम परिवार को शामिल नहीं होना चाहिए। यह अल्लाह का काम है और इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।
महिलाओं ने की आलोचना
महिला संगठनों और विपक्षी नेताओं ने एरदोगन के इस बयान की आलोचना की है। सभी का कहना है एरदोगन का यह बयान लैंगिक समानता के खिलाफ है। एरदोगन इसतरह के बयान पहले भी दे चुके हैं, उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों को राजद्रोह करार दिया था।
इस्लाम में औरतों के अधिकारों को सबसे बेहतर बताने वाले और छाती पीट पीट कर इस्लाम की हिमायत करने वाले मुसलमान इस सनकी राज नेता को इस्लाम से खारिज क्यों नहीं कर देते हैं ?
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