बुधवार, 10 जून 2020

कुछ लोगों के दिल में रहती कटुता भारी
रह रह के उनको बासठ बहुत सताता है |
वो नहीं जानते तब से दुनिया बदल गयी
बासठ के बाद तिरेसठ भी तो आता है |
बासठ पर बैठ गए क्यूँ हम छत्तिस होकर
बाँहें फैलाकर हुए तिरेसठ क्यूँ ना हम ?
क्यूँ नहीं छियासठ बनकर साथ खड़े होते
क्यूँ साथ साथ ना चल सकते हम मिला कदम ?

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