आजकल अनामिका शुक्ला शिक्षिका भर्ती घोटाला चर्चा में है | इस घोटाले के चाहे जो भी कारण हों लेकिन ये आश्चर्यजनक नहीं है | अनेक विभागों में अनेक अनामिका शुक्ल जैसे कर्मचारी नौकरी कर रहे हैं और कुछ तो बाकायदा सेवानिवृत होकर पेंशन भी ले रहे हैं | लेकिन ना तो उनकी कोई शिकायत करता है और ना ही किसी को इससे कुछ परेशानी है | हाँ व्यक्तिगत खुन्नस में जब कोई विभागीय या बाहरी व्यक्ति किसी कर्मचारी के पीछे पड़ जाता है तो प्रकरण चर्चा में आ जाता है | फिर जांच शुरू होती है और ज्यादातर ले देकर मामला सुलटा लिया जाता है और नौकरी करने वाला नौकरी करता रहता है |
इस तरह के घोटाले के अनेक कारण होते हैं | कई जगह देखा गया है कि अनारक्षित श्रेणी के व्यक्ति ने आरक्षित श्रेणी का लाभ लिया हुआ है | कई जगह अर्हता प्रमाणपत्रों में हेरा फेरी करके नौकरी हासिल की गयी है | निजी शिक्षण संस्थानों में योग्य शिक्षक ना मिलने के कारण या योग्य शिक्षक कम वेतन पर ना मिलने के कारण किसी अन्य योग्य शिक्षक के प्रमाणपत्रों के नाम पर किसी कम योग्य शिक्षक से शिक्षण कार्य कराया जाता है | ऐसा शिक्षक कागजों में कहीं सेवारत नहीं होता है लेकिन अपनी बेरोजगारी के कारण कम वेतन पर कार्य करने को मजबूर रहता है | अनेक की तो उम्र गुजर जाती है | एक व्यक्ति के प्रमाणपत्रों के सहारे अनेक स्कूलों में अनेक अन्य व्यक्ति पढ़ा रहे होते हैं | ये सब ढके छुपे नहीं होता है. सब प्रशासन की मिली भगत से चलता है |
वैसे भी कम योग्यता वाले कामों के लिए भी इतने अधिक योग्यता वाले बेरोजगार लाइन में होते हैं की उनकी छंटनी करना मुश्किल हो जाता है | ऐसे में सरकार ही शैक्षिक योग्यता के मापदंड ऊँचे निर्धारित कर देती है उसके बाद भी अनेक तरह के प्रशिक्षण और परीक्षाएं उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर देती है | उस पर तुर्रा ये है कि ये सब भी बहुत कम सीमित अवधि के लिए मान्य रहता है फिर या तो बेरोजगार निर्धारित आयु को पार कर जाता है या उसे फिर उसी योग्यता निर्धारण प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है |
पहले वैसे भी नौकरी के लिए इतनी बाधाएं खड़ी करने का क्या मतलब है ?पहले पांचवीं पास करके भी प्राइमरी स्कूल में शिक्षक हुआ जा सकता था| क्या पहले के शिक्षक काम योग्य थे ? मुझे नहीं लगता की वे काम योग्य थे या उनका समर्पण काम था | अब शिक्षक बनने के लिए कितनी परीक्षाएं पास करनी पड़ती हैं फिर भी योग्यता और समर्पण की कुछ गारंटी नहीं है |
नौकरी के लिए ही प्रमाण पत्रों का गलत इस्तेमाल नहीं होता है बहुत सारे लोग अन्य प्रमाणपत्रों का भी ऐसा ही इस्तेमाल कर रहे हैं | मेडिकल स्टोर खोलने के लिए फार्मासिस्ट का सर्टिफिकेट आवश्यक होता है लेकिन बहुत सारे मेडिकल स्टोर वालों पर नहीं होता है | वो किसी दूसरे के सर्टिफिकेट पर काम करते रहते हैं | बहुत सारे लोगों ने तो अपने सर्टिफिकेट कई कई जगह किराए पर दे रखे हैं और उस किराए से ही एक वेतनभोगी की तरह मौज कर रहे हैं | घोटाला कहाँ नहीं साहब ? भूखों को भोजन वितरण से लेकर दवा वितरण तक कहीं भी सब ठीक नहीं है | कहीं इरादतन गलत है तो कहीं परिस्थितिवश गलत है | जीने का अधिकार तो सबको है |

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