रविवार, 21 जून 2020

सदियों से हमने योग किया सदियों सूरज को ताका है
सदियों ज्योतिष के दर्पण में खुद को देखा है आंका है |
लेकिन बेकारी, भूख कभी ना मिटी कभी ना घटी कभी
बतलाओ किसका योग हुआ? बतलाओ किसका घाटा है ?

होरी कर्जे में फंसा हुआ, गोबर को मिलता काम नहीं
झुनिया को नहीं आसरा है,धनिया को है आराम नहीं |
जो सूदखोर करते पहले सरकारें करती वही काम
जीते जी कर्ज नहीं चुकता जीना हो जाता है हराम |

तब फांसी का फंदा हमको सिखलाता अंतिम मुक्त योग
फिर कोई रोग नहीं रहता, काया हो जाती है निरोग |
ये योग कर रहे हैं किसान, ये योग कर रहे हैं मजूर
ये योग करे सब लोग यहां इसका होता रहता प्रयोग |

मुक्ति  का  ऐसा  नव  प्रयोग  ये  योग समझ लेंगे जब हम
इन योग कराने वालों को सब योग सिखा देंगे तब हम |
हम इन्हें बताएँगे  कैसे  भूखों को योग कराते हैं  ?
कैसे कोई भूखा फांसी के फंदे पर देता है  दम ?

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