शुक्रवार, 19 जून 2020

भारत और चीन के बीच संघर्ष

जिस तरह की खबरें आ रही हैं उससे लगता है सरहद कि  पर ना सैनिकों की झड़प हुई है ना कोई मारपीट हुई है|  युद्ध तो बिलकुल नहीं हुआ है | ये साफ़ साफ़ मोब लॉन्चिंग  का मामला है | भारतीय सैन्य टुकड़ी के तीन चार सौ सैनिकों को चीनी सेना के  कई हजार सैनिकों ने अचानक से घेर कर दबोच लिया तथा कई सैनिकों को धोखे से शहीद कर दिया | आमने सामने  लड़ने  का कोई अवसर ही नहीं था | फिर भी भारत के बहादुर सैनिकों ने अनेक चीनी सैनिकों का खात्मा किया है ये हमारे सैनिकों की वीरता का परिचायक है |
भारत युद्ध नहीं चाहता है | युद्ध कोई अच्छी बात भी नहीं है| लेकिन ऐसे समय में जब सारा संसार कोरेना के प्रकोप से पीड़ित है चीन द्वारा सीमा पर घुसपैठ की  हरकत करना और युद्ध जैसे हालात पैदा करना समझ में ना आने वाली बात है |
भारत और  चीन  के बीच युद्ध ना हो ये जिम्मेदारी संसार के सारे बड़े देशों की है लेकिन इन बड़े देशों ने अभी तक भारत के समर्थन में और चीन की भर्त्सना में एक  भी शब्द नहीं  कहा है | चीन पर वैश्विक दबाव के बिना बात बनने वाली नहीं है | अगर चीन पर दबाव नहीं बनाया जाता है तो  चीन ऐसी हरकतें करता ही रहेगा | इसका एक दुष्परिणाम ये भी होगा कि भारत के पड़ौसी छोटे देश भी अपने हाथ पांव चलाने लगेंगे जैसा की अभी नेपाल ने किया है |
 भारत अगर अपने पड़ौसियों से संघर्ष में उलझ जाएगा तो उसकी प्रगति पर लगाम लग जायेगी | चीन का उद्देश्य भी यही दिखाई देता है | चीन  भारत को अपना प्रतिद्वंद्वी मानता है | भविष्य की आर्थिक महाशक्तियों में चीन और भारत शीर्ष पर होंगे इसकी प्रबल संभावना है | यह भी  तय है कि जो देश प्रत्यक्ष  सैन्य संघर्ष से स्वयं को बचाकर अपने को आर्थिक रूप से सशक्त  कर लेगा वही महाशक्ति नजर आएगा | सैन्य शक्ति या वैज्ञानिक प्रगति पर्याप्त नहीं होती है | सोवियत संघ सैन्य शक्ति और वैज्ञानिक प्रगति में शीर्ष पर था लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति लचर  थी | जिसका परिणाम ये हुआ की वो ताश के पत्तों की तरह ढह गया | चीन इस मायने में थोड़ा अलग  है | वह आर्थिक,प्रोद्योगिक ,वैज्ञानिक और सैन्य सशक्तिकरण में संतुलन बनाये हुए है | ये नहीं कहा जा सकता की चीन के अंदर सब ठीक है लेकिन वैसा बिखराव भी नजर नहीं आता है जैसा सोवियत संघ में था |
हाल के घटना क्रम का कोई तर्क संगत  कारण समझ में नहीं आता है | ऐसा लगता है कि जैसे ये चीन के शीर्ष नेतृत्व में  गंभीर संकट से ध्यान भटकाने की एक कोशिश है | ये हो सकता  है कि कोरेना वायरस के कारण चीन जिस तरह सारे संसार में खलनायक साबित हुआ है और चीन में जो सामाजिक आर्थिक संकट पैदा हुआ है उसके लिए चीन के शीर्ष नेतृत्व को जिम्मेदार मानते हुए  सत्ता केंद्र में वर्तमान नेतृत्व को  रुखसत करने  की तैयारी हो रही हो जिससे बचने के लिए वर्तमान नेतृत्व द्वारा भारत के साथ सीमा संघर्ष किया जा रहा हो | अपनी इस कोशिश में चीन का वर्तमान नेतृत्व सफल भी हो सकता है और बुरी तरह विफल भी लेकिन इससे चीन के साथ हमारे रिश्ते बदलने वाले नहीं हैं | हमें उससे सदैव सतर्क रहना होगा तथा अपने बाकी पड़ौसियों से अपने सभी विवादों का जल्द से जल्द निपटारा करना  होगा |  चीन से सीमा विवाद हल होने वाला इसलिए नहीं है क्यूंकि  चीन उसे हल नहीं करना चाहता है | वह अब सीमा विवाद को लटकाये रखने में ही अपना हित देखता है| वैसे भी अब  युद्ध सरहदों पर  नहीं विश्व के बाजारों में लड़ा जाएगा जिसके लिए हमारी तैयारी बहुत कम  है | देखना ये है कि हम इस मोर्चे पर कितना सफल होते हैं |

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