गद्दारों की नयी फसल है नयी नस्ल है
जो सच्चा है वही टिकेगा वही असल है|
जहां ज्योत उगते सूरज की जाकर बुझ जाती जहां पूर्वजों की ख्याति की थाती लुट जाती |
पवनपुत्र भी उसी समंदर खड़ा किनारे है जिसकी लहरें जन्मजात हत्यारी उत्पाती |
जो सच्चा है वही टिकेगा वही असल है|
जहां ज्योत उगते सूरज की जाकर बुझ जाती जहां पूर्वजों की ख्याति की थाती लुट जाती |
पवनपुत्र भी उसी समंदर खड़ा किनारे है जिसकी लहरें जन्मजात हत्यारी उत्पाती |
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें