ये फैसले का वक्त है तू आ कदम बढ़ा |
ये इम्तिहान सख्त है तू आ कदम बढ़ा |
वो देख दुश्मनों का खून सर्द हो गया,
जनता का गर्म रक्त है,तू आ कदम बढ़ा।
आ इनके होश को भी ठिकाने पे लगा दें
नश्शे में ताज औ तख्त है,तू आ कदम बढ़ा।
उल्लू हैं जिसकी शाख शाख पे जमे हुए
कीकर का ये दरख़्त है तू आ कदम बढ़ा |
पत्थर का है भगवान ना देखे ना सुने है
पंगू हरेक भक्त है, तू आ कदम बढ़ा |
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