सोमवार, 21 सितंबर 2020

 ये जीवन संग्राम सरीखा रोज लड़ा जायेगा

नहीं किसी अनहोनी के डर से ये थम जायेगा।

जब तक हम हैं,दम में दम है हार नहीं मानेंगे

नहीं छोड़कर रणभूमि को कोई घर जायेगा |


शत्रु है अद्रृश्य वार भी छुप छुप कर करता है

और युद्धरत साथी सैनिक भी चुपके मरता है ।

हमको है विश्वाश कवच कुंडल ले हम जन्में हैं,

सिर्फ देखना है अब इनको कौन छली हरता है ?


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