जनवादी लेखक संघ मेरठ جناوادئ لکھاک سنگھ میرٹھ
पहले सरकारें चुनते हैं फिर उससे लाठी खाते हैं
अन्नदाता सडकों पर क्यों हैं,क्यों ना संसद में जाते हैं
संग्राम लड़ा जाए फिर से खलिहानों राजघरानों में
हम जाने उनसे से क्यूं डरते ?हम जाने क्यों शर्माते हैं |
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