सोमवार, 16 नवंबर 2020

 सारी  उम्र  गुजर  जाती इस चिंता में 

लोग भला समझें मुझको ,पर समझे क्या ?

सीधे सादे रहे,  रहे मन मारे से 

नैन हमारे उलझे तो पर सुलझे  क्या   ?




मन्दिर के दिये सब जल ही गये चहुं ओर फैलता उजियारा
मन के अन्दर भी जला दिया मिट जाये सारा अंधियारा ।
घनघोर हताशा तिमिर लिये मन भटक रहा दिल चटक रहा
तू एक लघु लौ रौशन कर पथ पर बढ़ तेरा जग सारा ।

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