जनवादी लेखक संघ मेरठ جناوادئ لکھاک سنگھ میرٹھ
आया बसन्त आया बसन्त
खुशियां लेकर आया अनन्त।
फूलों में रंग हजार भरें
भंवरें कलियों से प्यार करें
बहती मद मस्त बयार अरे
पीताम्बर पहने हुये कंत ।
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