एक
एक हमारी और एक उनकी, मुल्क में हैं आवाजें दो
अब तुम पर है कौन सी तुम आवाज सुनों तुम क्या मानो|
हम कहते हैं जात धर्म से इन्सा की पहचान गलत
वो कहते है सारे इंसा एक है यह एलान गलत |
हम कहते है नफरत का जो हुक्म दे वो फरमान गलत
वो कहते है ये मानो तो सारा हिन्दुस्तान गलत |
हम कहते हैं भूल के नफ़रत,प्यार की कोई बात करो
वो कहते हैं खून खराब होता है तो होने दो |
एक हमारी और एक उनकी, मुल्क में हैं आवाजें दो|
हम कहते हैं इंसानों में इंसानों से प्यार रहे
वो कहते हैं हाथों में त्रिशूल रहे तलवार रहे |
हम कहते हैं बेघर बेदर लोगों को आबाद करो
वो कहते हैं भूले बिसरे मंदिर मस्जिद याद करो |
हम कहते हैं रामराज्य में जैसा हुआ है वैसा हो
वो कहते हैं खून खराबा होता है तो होने दो |
एक हमारी और एक उनकी, मुल्क में हैं आवाजें दो |
दो
ये तेरा घर ये मेरा घर, किसी को देखना हो गर
तो पहले आके माँग ले, मेरी नज़र तेरी नज़र|
ये घर बहुत हसीन है ,ये घर बहुत हसीन है |
न बादलों की छाँव में, न चाँदनी के गाँव में
न फूल जैसे रास्ते, बने हैं इसके वास्ते
मगर ये घर अजीब है, ज़मीन के क़रीब है
ये ईँट पत्थरों का घर, हमारी हसरतों का घर|
जो चाँदनी नहीं तो क्या, ये रोशनी है प्यार की
दिलों के फूल खिल गये, तो फ़िक्र क्या बहार की
हमारे घर ना आयेगी, कभी ख़ुशी उधार की
हमारी राहतों का घर, हमारी चाहतों का घर |
यहाँ महक वफ़ाओं की है क़हक़हों के रंग है
ये घर तुम्हारा ख़्वाब है, ये घर मेरी उमंग है
न आरज़ू पे क़ैद है, न हौसले पर जंग है
हमारे हौसले का घर, हमारी हिम्मतों का घर|

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