फैज़ की याद में
विश्व विख्यात शायर फैज अहमद फैज सारी दुनिया के दबे कुचले लोगों की आवाज थे| वे अफरो एशियाई लेखक संघ के अध्यक्ष थे| अफ़्रीकी देश मिस्र की जनक्रांति के स्वागत में फैज़ की मशहूर नज्म ' आ जाओ अफ्रिका' याद करें और फैज़ की याद में जनवादी लेखक संघ मेरठ द्वारा दि० १३/०२/११ को आयोजित कायर्क्रम में भाग लें|आ जाओ अफ्रिका
आ जाओ मैंने सुन ली तेरे ढोल की तरंग |
आ जाओ मस्त हो गई मेरे लहू की ताल |
'आ जाओ अफ्रिका '
आ जाओ मैंने धूल से माथा उठा लिया
आ जाओ मैंने छील दी आँखों से गम को छल|
आ जाओ मैंने दर्द से बाजू छुडा लिया
आ जाओ मैंने नोच दिया बेकसी का जाल |
'आ जाओ अफ्रिका '
पंजें में हथकड़ी की कड़ी बन गयी है गुर्ज
गर्दन का तोक तोड़ के ढाली है मैंने ढाल |
'आ जाओ अफ्रिका '
जलते हैं हर कछार में भालों के मिरग नैन
दुश्मन लहू से रात को कालिख हुई है
'आ जाओ अफ्रिका '
धरती धड़क रही मेरे साथ अफ्रीका
दरिया थिरक रहा तो बन दे रहा है ताल|
मैं अफ्रिका हूँ धार लिया मैंने तेरा रूप
मैं तू हूँ मेरी चाल है तेरे बाबर को चाल|
'आ जाओ अफ्रिका '
आपके कालेज के संस्मरणों का इन्तजार है,अवश्य लिखिए.मुझे भी अपने बाद के समय की जानकारी हो जायेगी.
जवाब देंहटाएंअपनी बात के सन्दर्भ में आपका वक्तव्य सम्यक है.