अखबार के हिसाब से कितने मरे हैं आज |
हंस-हंस के यूँ तो सबसे मिला हूँ मगर ये क्या
... झूठी हंसी से होठ बहुत दुख रहे हैं आज |
आतंक राजनीति की दुनिया का दास है
मालिक भी अपने दास से सहमे हुए हैं आज |
टायर कहीं फटे तो ये लगता है कुछ हुआ
आहट भी हो ज़रा सी तो हम कांपते हैं आज..|
यथार्थ और सही अंदाज में बात कही है.
जवाब देंहटाएं'राम का अंतर्द्वंद' तो दिखाई नहीं दिया बाकी मेरे ब्लाग पर देखने की कृपा करें.
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