[श्री सुमनेश 'सुमन' मेरठ के लोकप्रीय कवि और कवि सम्मेलनों के कुशल संचालक हैं |साहित्यिक परिवेश आपको विरासत में मिला है |]
रोशनी की बात कर
रोशनी की बात कर
हर कदम पसरी उदासी,
तू ख़ुशी की बात कर |
दर्द के खारे समंदर
तू नदी की बात कर |
कष्ट सहकर सत्य पालन की कथा हम सुन चुके हैं,
फिर किसी बदरंग आँचल को सुनहरा रंग दे दें,
मंजिलों के स्वप्न उनकी आँख में पलते रहे हैं |
रोक पायी कब उन्हें, बाधाएं उनके रास्तों की ,
आग थी भीतर व बाहर आग में जलाते रहें हैं |
प्यार कर जिन्दादिली को,
जिंदगी की बात कर |
दर्द के खारे समंदर
तू नदी की बात कर |
कष्ट सहकर सत्य पालन की कथा हम सुन चुके हैं,
और ऋषि की अस्थियों से अस्त्र भी हम बुन चुके हैं |
हम व्यथा सीता, अहल्या, द्रोपदी की जानते हैं ,
कर्म का अधिकार रघुकुल रीति भी जब मानते हैं|
निष्कपट,निश्छल सुमन -मन,
सादगी की बात कर |
दर्द के खारे समंदर,
तू नदी की बात कर ||
फिर किसी बदरंग आँचल को सुनहरा रंग दे दें,
बेसहारों को सवाँरे जिंदगी का ढंग दे दें |
जब उठे दो हाथ तो उजड़े हुए घर को सजाएं,
जब खुले दो होट तो बस जिन्दगी के गीत गायें |
फिर अँधेरी बस्तियों में
रोशनी की बात कर |
दर्द के खारे समंदर,
तू नदी की बात कर ||
- सुमनेश 'सुमन '
bahaut achchhe bhaavon ko sumnesh jee ne vyakt kiyaa hai.anukarneey kavita hai.
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