रविवार, 27 नवंबर 2011

जनता का लहू पानी


गुजरात  नहीं दिखता, आसाम नहीं दिखता,
कश्मीर  नहीं दिखता, पंजाब नहीं दिखता |

क्या बात मणिपुर की, क्या बात उड़ीसा की,
जनता का लहू पानी मिलता है बहुत सस्ता |

वो आज का किशन था मर भी गया तो क्या है ?
वैसे भी राम, कृष्ण मरने के बाद पुजता |

यूँ  शौक  में  कोई  भी  खाता  नहीं  है  गोली
मकसद हो नेक जिसका बच के नहीं वो चलता |

बारूदी  गंध  उनको  भाती  है  खूब  यारों
आँखों में कभी जिनकी चूल्हे का धुँआ चुभता |

मसला न कोई सुलझे बंद रास्ते हों सारे
बन्दूक की नली से तब रास्ता निकलता  |

हाँ जो नहीं लडेगा उसका भी हाल देखो
इरोम शर्मिला  की कोई नहीं है सुनता |


उसको सलाम मेरा फांसी को चूमता जो
या शीश हाथ पे रख जो युद्ध में उतरता |

ये फैसला 'मधुर' का जाओ उन्हें बता दो
गाली से गोलियों से बिल्कुल नहीं वो डरता |






3 टिप्‍पणियां:

  1. सामयिक और सार्थक प्रस्तुति, आभार.

    जवाब देंहटाएं
  2. Nirmal Paneri वो आज का किशन था मर भी गया तो क्या है ?
    वैसे भी राम, कृष्ण मरने के बाद पुजता |.............वाह जी क्या कही है .......जबरदस्त !!!!!!!!!!!!!!!!!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. Nirmal Gupta
    इस गज़ल में उठाये गए कुछ मुद्दों से असहमति के बावजूद इसे पढ़ा जाना ज़रूरी है|

    जवाब देंहटाएं