मंगलवार, 17 जनवरी 2012

कुर्सीनामा








1
जब तक वह ज़मीन पर था
कुर्सी बुरी थी
जा बैठा जब कुर्सी पर वह
ज़मीन बुरी हो गई ।
2
उसकी नज़र कुर्सी पर लगी थी
कुर्सी लग गयी थी
उसकी नज़र को
उसको नज़रबन्द करती है कुर्सी
जो औरों को
नज़रबन्द करता है ।
3
महज ढाँचा नहीं है
लोहे या काठ का
कद है कुर्सी
कुर्सी के मुताबिक़ वह
बड़ा है छोटा है
स्वाधीन है या अधीन है
ख़ुश है या ग़मगीन है
कुर्सी में जज्ब होता जाता है
एक अदद आदमी ।
4
फ़ाइलें दबी रहती हैं
न्याय टाला जाता है
भूखों तक रोटी नहीं पहुँच पाती
नहीं मरीज़ों तक दवा
जिसने कोई ज़ुर्म नहीं किया
उसे फाँसी दे दी जाती है
इस बीच
कुर्सी ही है
जो घूस और प्रजातन्त्र का
हिसाब रखती है ।
5
कुर्सी ख़तरे में है तो प्रजातन्त्र ख़तरे में है
कुर्सी ख़तरे में है तो देश ख़तरे में है
कुर्सी ख़तरे में है तु दुनिया ख़तरे में है
कुर्सी न बचे
तो भाड़ में जायें प्रजातन्त्र
देश और दुनिया ।
6
ख़ून के समन्दर पर सिक्के रखे हैं
सिक्कों पर रखी है कुर्सी
कुर्सी पर रखा हुआ
तानाशाह
एक बार फिर
क़त्ले-आम का आदेश देता है ।
7
अविचल रहती है कुर्सी
माँगों और शिकायतों के संसार में
आहों और आँसुओं के
संसार में अविचल रहती है कुर्सी
पायों में आग
लगने
तक ।
8
मदहोश लुढ़ककर गिरता है वह
नाली में आँख खुलती है
जब नशे की तरह
कुर्सी उतर जाती है ।
9
कुर्सी की महिमा
बखानने का
यह एक थोथा प्रयास है
चिपकने वालों से पूछिये
कुर्सी भूगोल है
कुर्सी इतिहास है ।

(रचनाकाल : 1980)

 -गोरख पाण्डेय

1
جب تک وہ زمین پر تھا
کرسی بری تھی
جا بیٹھا جب کرسی پر وہ
زمین بری ہو گئی.
2
اس کی نظر کرسی پر لگی تھی
کرسی لگ گئی تھی
اس کی نظر کو
اس کو نذربند کرتی ہے کرسی
جو اوروں کو
نذربند کرتا ہے.
3
محض ڈھانچہ نہیں ہے
لوہے یا كاٹھ کا
قد ہے کرسی
کرسی کے مطابق وہ
بڑا ہے چھوٹا ہے
خود مختار ہے یا کنٹرول میں ہے
خوش ہے یا غمگین ہے
کرسی میں ججب ہوتا جاتا ہے
ایک عدد آدمی.
4
فائلوں دبی رہتی ہیں
انصاف روکا جاتا ہے
بھوکوں تک روٹی نہیں پہنچ پاتی
نہیں مریضوں تک دوا
جس نے کوئی جرم نہیں کیا
اسے پھانسی دے دی جاتی ہے
اس درمیان
کرسی ہی ہے
جو رشوت اور پرجاتنتر کا
حساب رکھتی ہے.
5
کرسی خطرے میں ہے تو پرجاتنتر خطرے میں ہے
کرسی خطرے میں ہے تو ملک خطرے میں ہے
کرسی خطرے میں ہے تمہارے دنیا خطرے میں ہے
کرسی نہ بچے
تو بھاڑ میں جائیں پرجاتنتر
ملک اور دنیا.
6
خون کے سمندر پر سکے رکھے ہیں
سکوں پر رکھی ہے کرسی
کرسی پر رکھا ہوا
ڈکٹیٹر
ایک بار پھر
قتلے -- عام کا حکم دیتا ہے.
7
اوچل رہتی ہے کرسی
مطالبات اور شکایات کے دنیا میں
اهو اور آنسوؤں کے
دنیا میں اوچل رہتی ہے کرسی
پایوں میں آگ
لگنے
تک.
8
مدہوش لڑھككر گرتا ہے وہ
نالي میں آنکھ کھلتی ہے
جب نشے کی طرح
کرسی اتر جاتی ہے.
9
کرسی کی عظمت
بكھاننے کا
یہ ایک تھوتھا کوشش ہے
چپکنے والوں سے پوچھيے
کرسی جغرافیہ ہے
کرسی کی تاریخ ہے.

(رچناكال : 1980)

 -- گوركھ پاڈےي

1 टिप्पणी:

  1. फेस्बोक पर कमेन्ट -
    1-आशुतोष कुमार:- जब तक वह ज़मीन पर था/ कुर्सी बुरी थी/
    जा बैठा जब कुर्सी पर वह/ज़मीन बुरी हो गई। गज़ब की चोट !


    2गिरिजेश तिवारी:- गोरख पाण्डेय की यादों को सलाम .


    3-उत्त्कर्ष प्रकाशन:- very nice said ........good


    4-उस्मान मुनीर:- true saying bro .Superb.

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