शुक्रवार, 23 मार्च 2012

सॉंस्कृतिक कार्यक्रम और कर्नाटक संगीत سسكرتك پروگرام اور کرناٹک موسیقی



              भारत का राजनीतिक परिद्रश्य बहुत शोचनीय है । सत्तारूढ़ दल कांग्रेंस में राहुल गांधी  के अलावा कोई भावी पी.एम. नहीं माना जा रहा है ।इसलिये सब आराम से मलाई चाट रहें हैं ।कोई चुनावी संग्राम हो, अभिमन्यु की तरह राहुल गांधी को चक्रव्यूह तोड़ने के लिये आगे कर दिया जाता है बाकि महारथी चक्रव्यूह के द्वार तक जाते हैं और विपक्ष से जूझने की बजाय लडने का अभिनय भर करते रहते हैं या स्वयं आपस में भिड जाते हैं। अभिमन्यु जीते या हारे उन्हें क्या? वो तो दरबारी हैं दरबारी ही रहेंगे ।इसलिए काहे टेंशन लें |कृपाओं की  माता सोनिया की कृपा बनी रहे इतना ही ध्यान रखना होता है सो वो बखूभी रखें हैं |
               दूसरी और विपक्षी दल भाजपा है जो पार्टी विद द डिफरेंट है ।वहाँ अनेक पी. एम. इन वेटिंग हैं। जहाँ ऐसा अनुशासन है कि राज्य सभा के चुनाव में विधायक अपनी पार्टी के उम्मीदवार को ठुकरा देते हैं और मजबूर होकर पार्टी को विधायकों को मतदान से अलग रहने के निर्देश देने पड़ते हैं। आम मतदाता के लिये मतदान अनिवार्य करने की माँग करने वाले विचारक इस पर गौर फरमायें और जरा ये बतायें  कि  मताधिकार  दलपति द्वारा बंधक बनाने का औचित्य क्या है?
         भाजपा भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिये कहीं भी कुछ भी करने के लिये तैयार रहती है| यह उसे संघ के सस्कारों की घुट्टी में मिला  है | इसके लिए संघ शिशु मंदिर की शिक्षा व्यवस्था से लेकर वनवासी कल्याण, गौ रक्षा अभियान, मंदिर मुक्ति जैसे कई कार्यक्रम चलता रहता  है। अब कुछ वर्षों से उसकी सांस्क्रतिक दीक्षा प्राप्त स्वयं सेवक अलग से अपनी  पहचान स्थापित करने में  जुटे  हैं | क्रांतिकारी दारा सिंह से लेकर  साध्वी प्रज्ञा ठाकुर तक तो थे ही सस्कृति की रक्षा में तैनात, लेकिन जिन के सिर पर शासन का का भार  रखा वे सदन में सर झुकाये कामानन्द प्राप्त करने में मगन रहते हैं।अभी तक इसे कर्नाटक संगीत ही समझा जा रहा है पर जैसे  हर महान शासक के काल में होता  है  कि  इतनी सुख शान्ति और सम्रद्धि आती है कि दरबारियों को रास रंग में समय काटने के अलावा करने के लिये कुछ नहीं बचता| ऐसा ही  कुछ गुजरात के महान शासक मोदी महान जिसे संघी भगवान तक समझते हैं के राज दरबारी कर रहें हैं| करें भी क्यों न ?वे संघ के स्वर्गलोक में रहते हैं जहाँ दुष्ट दलन का कार्य कब का पूरा हो चुका  है। उनकी उपलब्धियों की गूँज सात समंदर पार तक सुनायी दे रही है | सम्रद्धि की सुनामी उनके पग पखारती है |[ये अलग बात है कि मलेच्छों पर वो क़यामत बनाकर टूटती रही है |]लेकिन इससे क्या स्वर्ग के आनंद फीके पड़ सकते हैं ?  कभी  नहीं | 
                   अब नर इंद्र हैं और उनकी इन्दर सभा। ये पत्थरमार [पत्रकार] तो मूरख हैं यूं ही ताक झाँक करते हैं। किसी की सांस्कृतिक परम्परा का तो इन्हें कुछ पता नहीं, बस पोर्न पोर्न चिल्लाने लगते हैं। हमारी सांस्कृतिक विरासतों में खजुराहों भी तो है| हम तो बस उसका कार्यक्रम बना रहे थे। अजीब मुसीबत है मंदिर निर्माण  का कार्यक्रम बनायें तो पत्थरमार पीछे लग जाते हैं| कुछ खजुराहों के बारे में प्लानिंग करें तो पोर्नगेट पोर्नगेट चिल्लाने लगते हैं। कहते हैं ये हैं संसकृति  के रक्षक? ये हैं  वेलेंटाई  डे के भक्षक? देखो  ये क्या कर  रहे हैं?  कर रहें हैं कद्दू | कुछ करने दो तब ना | अरे भई हम तो अपना चाल, चेहरा और चरित्र बदल रहें हैं |हमारे गुंडाचार्य  जी कभी  के  कह गये कि हमें अपना चाल, चेहरा और चरित्र बदल लेना चाहिए।उन्होंने चुपके से  बदल लिया था| वे दूरदर्शी थे |समय की नब्ज पहचानते थे | पर नागपुरिया तो लाठी और नेकर से आगे  निकलने ही नहीं देना चाहते| सो बेचारे खुद ही संगठन  से निकल लिये| उनके वियोग में सन्यासिनी कैसी बिफरी? पर इन्हें क्यूं किसी की भावनाओं की चिंता होने लगी | इनका बस चले तो आदमी बस जय श्री राम चिल्लाता रहे और रथयात्राओं में जुता रहे |ये नहीं सोचते कि जय श्री राम जपते-जपते जबान पुराने रास्ते पर भी जा सकती है| जय सियाराम भी जपने लग सकती है | सिया राम यानी राम से भी पहले सीता ? क्या बकते हो ?  ऐसा कहने वाले स्त्रैण  हैं ? हमारे यहॉं स्त्रैण लोगों का क्या काम? हमें तो वीर मर्द चाहियें। ऐसे ही वीर मर्द जैसे गोधरा काण्ड के बाद हमारे शोर्य प्रदर्शन में बढ चढकर भाग लेते दिखायी दिये थे। वो तो पता नहीं कहॉं से शीतला माई प्रकट हो गयी जो अब तक मनाये नहीं मान रही है। उसके मनाने का कोई तरीका खोजना है कि नहीं? अब वो जमाना तो रहा नहीं कि सवा रूपये का बताशे चढाकर शीश नवा दो और देवी प्रसन्न गयी।अब तो कुछ नये तरीके अपनाने होंगें। सो हम वो तरीके खोज रहे थे अपने टैबलेट में। नहीं खोजने  दिया | मत खोजने दो | अपनी प्रयोगशाला में ऐसे शोध तो चलते ही रहते हैं  फिर खोज लेंगें | चलों कर्नाटक संगीत सुने | येद्धुरप्पा येद्धुरप्पा दे दूँ धक्का  दे दूँ धक्का येद्धुरप्पा येद्धुरप्पा ताक धिना धिन ताक धिना धिन ता.. येद्धुरप्पा|  नहीं समझे ? ये खाली कर्नाटक संगीत नहीं है | ये एक सिद्ध मन्त्र है | जो इसे पूरी लगन से जपता है वो जेल बेल की बाधाओं की परवाह न करके मुख्य मंत्री की कुर्सी पर विराज ही जाता है | कोई घड़ी घड़ी गडबडी नहीं चल सकती|चाहो तो के बी सी[ कौन बनेगा सीएम] का  कर्नाटकी एपीसोड देख लो | इसके बाद के बी पी यानी कि कौन बनेगा पीएम दिखाया जायेगा | तब तक के लिये हमें विदा दीजिये |जय श्री राम | वंदें मातरम, वंदें मातरम, वंदें मातरम, वंदें मातरम|

Alpha
بھارت کا سیاسی پردرشي بہت قابل رحم ہے. حکمران جماعت كاگرےس میں راہل گاندھی کے علاوہ کوئی مستقبل پيےم نہیں مانا جا رہا ہے. اس لئے سب آرام سے ملائی چاٹ رہے ہیں. کوئی انتخابی جنگ ہو، ابھمني کی طرح راہل گاندھی کو جال توڑنے کے لئے آگے کر دیا جاتا ہے باقی مہارتھی جال کے دروازے تک جاتے ہیں اور حزب اختلاف سے جوجھنے کی بجائے لڈنے کا اداکاری بھر کرتے رہتے ہیں یا خود آپس میں بھڈ جاتے ہیں.ابھمني جیتے یا ہارے انہیں کیا؟ وہ تو درباری ہیں درباری ہی رہیں گے. اس لئے کاہے ٹیںشن لیں | كرپاو کی ماں سونیا کے فضل بنی رہے اتنا ہی خیال رکھنا ہوتا ہے سو وہ بكھوبھي رکھیں ہیں |
               
دوسری اور اپوزیشن پارٹی بی جے پی ہے جو پارٹی ود دی ڈپھرےٹ ہے. وہاں کئی پی ایم ان ویٹنگ ہیں. جہاں یہ نظم ہے کہ راجیہ سبھا کے انتخابات میں ممبر اسمبلی اپنی پارٹی کے امیدوار کو مسترد کر دیتے ہیں اور مجبور ہو کر پارٹی کو ارکان اسمبلی کو ووٹنگ سے الگ رہنے کی ہدایات دینے پڑتے ہیں. عام ووٹر کے لئے پولنگ لازمی کرنے کا مطالبہ کرنے والے وچارك اس پر غور پھرمايے اور ذرا یہ بتائیں دلپت کی طرف سے یرغمال بنائے گئے ووٹ کا حق کا جواز کیا ہے؟
         
بی جے پی ہندوستانی ثقافت کی حفاظت کے لیے کہیں بھی کچھ بھی کرنے کے لئے تیار رہتی ہے | یہ یونین کے سسكارو کی گھٹی ہے | اس کے لئے بچے مندر کی تعلیم نظام سے لے کر ونواسي کلیان، گو دفاع مہم، مندر نجات جیسے کئی پروگرام چلاتی رہتی ہے .اب کچھ سالوں سے اس کی ساسكرتك ديكشا حاصل سویم سیوک کی اپنی پہچان دکھا رہے ہیں | دارا سنگھ سے لے کر پرگیہ ٹھاکر تک تو تھے ہی لیکن جن کے سر پر حکمرانی کا کا وزن رکھا وہ ایوان میں سر جھكايے کاماند حاصل کرنے میں مگن رہتے ہیں. ابھی تک اسے کرناٹک موسیقی ہی سمجھا جا رہا ہے پر جیسے ہر عظیم بادشاہ کے دور میں اتنی سکون اور سمرددھ آتی ہے کہ درباريو کو راس رنگ میں وقت کاٹنے کے علاوہ کرنے کے لئے کچھ نہیں بچتا ایسا ہی کچھ گجرات کے عظیم حکمران مودی عظیم جسے سگھي خدا تک سمجھتے ہیں کے راج درباری کر رہیں ہیں | اتارنا بھی کیوں نہ؟ وہ یونین کے سورگلوك میں رہتے ہیں جہاں شریر دلن کا کام کب کا مکمل ہو چکا ہے. ان کے کارناموں کی بازگشت سات سمندر پار تک سنائی دے رہی ہے | سمرددھ کی سونامی ان کے پاگ پكھارتي ہے | [یہ الگ بات ہے کہ ملےچچھو پر وہ قیامت بنا کر ٹوٹتی رہی ہے |] لیکن اس سے کیا جنت کے لطف پھيكے پڑ سکتے ہیں | اب جہنم اںدر ہیں اور ان کی اندر سبھا. یہ پتتھرمار [صحافی] تو مورکھ ہیں یوں ہی تاک جھانک کرتے ہیں. کسی کی ثقافتی روایت کا تو انہیں کچھ پتہ نہیں بس پورن پورن چلانے لگتے ہیں. ہماری ثقافتی وراستو میں كھجراهو بھی تو ہے | ہم تو بس اس کا پروگرام بنا رہے تھے. عجیب مصیبت ہے | مندر کی تعمیر کا پروگرام بنائیں تو پتتھرمار پیچھے لگ جاتے ہیں کچھ كھجراهو کے بارے میں پلاننگ کریں تو پورنگےٹ پورنگےٹ چلانے لگتے ہیں. کہتے ہیں یہ ہیں سسكرت کے محافظ یہ ہیں welentaayi ڈے کے بھكشك | دیکھو یہ کیا کر رہے ہیں | کر رہیں ہیں كددو | کچھ کرنے دو اس وقت نا | ارے بھئی ہم تو اپنا چال، چہرہ اور کردار بدل رہے ہیں | ہمارے گڈاچاري جی کبھی کے کہہ گئے کہ ہمیں اپنا چال چہرہ اور کردار تبدیل کر لینا چاہئے. انہوں نے چپکے سے بدل لیا تھا | وہ بصیرت تھے | وقت کی نبض پہچانتے تھے | پر ناگپريا تو لاٹھی اور نےكر سے آگے نکلنے ہی نہیں دینا چاہتے سو بیچارے خود ہی اولاد سے نکل لئے | ان کے ويوگ میں سنياسني کیسی بپھري پر انہیں کیوں کسی کے جذبات کی فکر ہونے لگی | ان کا بس چلے تو آدمی بس جے شری رام چللاتا رہے اور رتھياتراو میں جتا رہے | یہ نہیں سوچتے کہ جے شری رام جپتے جپتے زبان پرانے راستے پر بھی جا سکتی ہے جے سيارام بھی جپنے لگ سکتی ہے | سيا رام یعنی رام سے بھی پہلے سیتا؟کیا بکتے ہو؟ ایسا کہنے والے سترے ہیں | ہے. جے سيارام بھی جپنے لگ سکتی ہے دي سيا رام یعنی رام سے بھی پہلے سیتا؟ کیا بکتے ہو؟ ایسا کہنے والے سترے ہیں؟ ہمارے یہاں سترے لوگوں کا کیا کام؟ ہمیں تو ویر مرد کی ضرورت ہے. ایسے ہی ویر مرد جیسے گودھرا كاڈ کے بعد ہمارے شوري کارکردگی میں اضافہ ہو مسلم بڑھ چڑھ کر حصہ لیتے دکھائی دیئے تھے. وہ تو پتہ نہیں كه سے شيتلا مائی ظاہر ہو گئی جو اب تک منايے نہیں مان رہی ہے. اس کے منانے کا کوئی طریقہ تلاش کرنا ہے کہ نہیں؟ اب وہ زمانہ تو رہا نہیں کہ سوا روپے کا بتاشے چڈھاكر شيش نوا دو اور دیوی خوش گی. اب تو کچھ نئے طریقے اپنانے ہوں گے. سو ہم وہ طریقے تلاش کر رہے تھے اپنے ٹےبلےٹ میں. نہیں تلاش کرنے دیا | مت تلاش کرنے دو | اپنی لیبارٹری میں ایسے تحقیق تو چلتے ہی رہتے ہیں پھر تلاش لےگے | چالو کرناٹک موسیقی سنے | يےددھرپپا يےددھرپپا دے دوں دھکا دے دوں دھکا يےددھرپپا يےددھرپپا ٹاك دھنا دھن ٹاك دھنا دھن تا يےددھرپپا | نہیں سمجھے؟ یہ خالی کرناٹک موسیقی نہیں ہے | یہ ایک ثابت منتر ہے | جو اسے پوری لگن سے جپتا ہے وہ جیل بیل میں حائل رکاوٹوں کی پرواہ نہ کر کے مكھيا وزیر کی کرسی پر وراج ہی جاتا ہے | کوئی گڈبڈي نہیں چل سکتی چاہے کتنی ہی بھاری ہو | چاہو تو کے بی سی [کون بنے گا سيےم] کا کا کرناٹکی اےپيسوڈ دیکھ لو | اس کے بعد کے بی پی یعنی کہ کون بنے گا پی ایم | تب تک کے لئے ہمیں رخصت دیجئے | جے شری رام | ودے ماترم ودے ماترم |


1 टिप्पणी:

  1. 1-अहः ज़ोरदार कटाक्ष-श्रद्धान्शु शेखर


    2-बढिया!.........चंदन कुमार मिश्र
    3-हा हा हा , अमरनाथ जी गुस्से में कॉमेडी करने लगे आप .......सितवत अहमद


    4-राजनीति में संगीत कहाँ नहीं है ? कर्नाटक ही अछूता क्यों रहे ?.....सुधाकर शर्मा '.आशावादी' ,मेरठ

    5-काँग्रेस का अभिमन्यु कौन है सब जानते हैं
    मगर क्या समूचा महाभारत
    अभिमन्यु के बल पर लड़ा जा सकता था
    यहाँ तो अभिमन्यु की टाँग खींचने वालों की भी
    कोई कमी नहीं है |..............सुधाकर शर्मा '.आशावादी' ,मेरठ

    जवाब देंहटाएं