शनिवार, 2 मार्च 2013

मानिक सरकार


     त्रिपुरा के मुख्यमंत्री और कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट) की पोलित ब्यूरो के सदस्य मानिक सरकार का जन्म 22 जनवरी, 1949 को राधाकिशोरपुर, दक्षिण त्रिपुरा के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. विद्यार्थी जीवन में मानिक सरकार सीपीआई(एम) की छात्र शाखा स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के एक प्रतिष्ठित नेता भी रह चुके हैं. मानिक सरकार ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबद्ध एम.बी.बी. कॉलेज से वाणिज्य विषय के साथ स्नातक की पढ़ाई पूरी की. एसएफआई की तरफ से वह इस संस्थान की छात्र शाखा के महासचिव भी बने. वर्ष 1967 में त्रिपुरा में कांग्रेस सरकार के खिलाफ चल रहे खाद्य आंदोलन, जिसने पूरे राज्य में अशांति का वातावरण बना रखा था, में मानिक सरकार ने अपने संगठन के अन्य लोगों के साथ मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वह स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की राज्य स्तरीय समिति के सचिव और अखिल भारतीय समिति के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं.
मानिक सरकार की राजनैतिक उपलब्धियां
वर्ष 1972 में मानिक सरकार को सीपीआई(एम) की सदस्यता प्राप्त हो गई और 1978 में वह पार्टी के राज्य सचिवालय में शामिल किए गए. 1985 में वह पार्टी की केन्द्रीय समिति के सदस्य बनाए गए. वर्ष 1980 में अगरतला निर्वाचन क्षेत्र से मानिक सरकार ने अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता. वर्ष 1993 में मानिक सरकार सीपीआई(एम) के राज्य सचिव व वाम पंथी दल के संयोजक नियुक्त किए गए. वर्ष 1998 के विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद मानिक सरकार प्रदेश के मुख्यमंत्री और पोलित ब्यूरो के सदस्य बनाए गए. वर्ष 1998 से लेकर अब तक मानिक सरकार त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं.
मानिक सरकार का व्यक्तित्व
मानिक सरकार देश के सबसे निर्धन मुख्यमंत्री हैं जिनका बैंक बैलेंस कुल 13,920 रुपए है. वर्ष 2008 के चुनावों के दौरान उनकी संपत्ति और आय का ब्यौरा सामने आया. मानिक सरकार के पास चल-अचल संपत्ति के नाम पर केवल मुख्यमंत्री के पद पर प्राप्त होने वाली आय है, जिसे वह पार्टी के कामों के लिए खर्च कर देते हैं. इनकी पत्नी जो स्वयं एक सरकारी कर्मचारी हैं आज तक सार्वजनिक परिवहन में आती-जाती हैं. मानिक सरकार की प्रतिबद्धता और उनकी ईमानदारी इसी बात से ज्ञात हो जाती है कि अगर किसी सरकारी कार्यक्रम में मानिक सरकार और उनकी पत्नी को जाना होता है तो मानिक सरकार तो सरकारी वाहन का सहारा लेते हैं लेकिन उनकी पत्नी ऑटो या रिक्शा से ही जाती हैं. मानिक सरकार त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री नृपेन चक्रबर्ती को अपना आदर्श मानते हैं.

हेमेन्द्र मिश्र
 देश का सबसे गरीब मुख्यमंत्री मानिक  सरकार   सहयोगियों के लिए मिलनसार व्यक्तित्व का मालिक है, तो राजनीतिक हलकों में कठोर फैसला लेने वाला नेता। ईमानदारी ऐसी कि विरोधी भी दबी जुबान प्रशंसा करने को मजबूर। वाकई त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार की शख्सियत ही ऐसी है कि 'सत्ता-विरोधी रुझान' जैसी शब्दावलियों को झुठलाते हुए वह लगातार चौथी बार राज्य का नेतृत्व करने जा रहे हैं।

करीब 65 वसंत देख चुके इस माकपा नेता में आखिर ऐसा क्या है, जो उसे राज्य में नृपेन चक्रवर्ती के बाद सबसे बड़ा वामपंथी नेता बनाता है? जवाब माणिक की जीवन शैली में ढूंढे जा सकते हैं। वह देश के संभवतः एकमात्र मुख्यमंत्री हैं, जिनके पास न तो अपना घर है, न कार और न ही मोबाइल। बैंक में भी इतनी रकम नहीं कि बताई जा सके।

मुख्यमंत्री के रूप में मिलने वाला वेतन पार्टी फंड में जाता है और फिर पार्टी द्वारा दिए जाने वाले मासिक पांच हजार रुपये से ही उनका गुजारा चलता है। पत्नी को मिलने वाली पेंशन इसमें मदद करती है। माणिक आज भी लाल बत्ती लगी गाड़ी का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि जरूरी कामकाज पार्टी की गाड़ी से ही निपटाते हैं।

चूंकि उन्हें फिजूलखर्ची पसंद नहीं, इसलिए उनकी पत्नी आज भी रिक्शे पर ही नजर आती हैं। आज जब राजनीतिक भ्रष्टाचार से प्रायः कोई सियासतदां नहीं बच सका है, उनके 'सफेद कुर्ते-पाजामे' पर दाग क्यों नहीं लगे? माणिक सरकार की मानें, तो उनकी जरूरतें काफी कम हैं। नसवार का एक पैकेट और दिन भर में सिगरेट की एक डिब्बी...। और जब खर्च बहुत कम हो, तो 'कमाने' की भला क्या जरूरत?

माणिक का राजनीतिक उदय किसी कहानी से कम नहीं। उनके पिता दर्जी थे और मां सरकारी नौकर, इसलिए एक सामान्य परिवार की तरह वह भी नौकरीपेशा जीवन बिताना चाहते थे। लेकिन 1967 में खाद्यान्न के लिए हुए आंदोलन से वह वामपंथी विचारधारा के करीब आए।

आज जब बेरोजगारी दर राज्य सरकार को मुंह चिढ़ा रही है, यह माणिक की नेतृत्व क्षमता ही है कि त्रिपुरा पूर्वोत्तर का सबसे शांत राज्य है और अलगाववादी तत्व मुख्यधारा का हिस्सा बन रहे हैं। बावजूद इसके इस 'राजा' का दर्द तो बस इतना ही है कि अगर केंद्र सहायता दे, तो राज्य की बुनियादी जरूरतें पूरी की जा सकें, ताकि सरप्लस बिजली वाले इस राज्य की तरफ निवेशक ध्यान दें।-हेमेन्द्र मिश्र

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