रविवार, 19 मई 2013

हत्यारे वीर कहाते हैं


एक  निहत्थे  बूढ़े के  हत्यारे  वीर  कहाते  हैं
पागल हैं कुछ लोग इसे अपनी तकदीर बताते हैं .

मैंने उनसे कहा यार तुम जहर न इतना फैलाओ
वो तरकश में जहर बुझे ही सारे तीर दिखाते हैं .

वो कह्ते हैं भक्त राम के हम हैं, कोई और नहीं
गाँधी राम भक्त है लो हम गाँधी  को निबटाते हैं .

बँटवारे की बात चली तो मैंने उनसे पूछ लिया
क्या जिन्ना से भी पहले सावरकर ये फरमाते  हैं ?

एक देश के दो होने से बदला कुछ दस्तूर नहीं
इधर खा रहे गाँधी गोली से उधर लियाकत खाते हैं .

हत्यारें हैं एक, वेष दो, एक मिशन है एक है ढंग
ये जम्हूरियत नहीं देश में तानाशाही चाहते हैं .

 بوڑھے اور غیر مسلح کے قاتل ویر كهاتے ہیں
پاگل ہیں کچھ لوگ اسے اپنی تقدیر بتاتے ہیں.

جب بھی میں نے کہا یار تم زہر نہ اتنا پھیل
وہ ترکش میں سارے ہی زہریلے تیر دکھاتے ہیں.

وہ کہتے ہیں متقی رام کے ہم ہیں، کوئی اور نہیں
گاندھی رام بھکت ہے بیشک ہم گاندھی کو نبٹاتے ہیں.

بٹوارے کی بات چلی تو میں نے ان سے پوچھ لیا
کیا جناح سے پہلے ساورکر یہ حل بتلاتے ہیں؟

ایک ملک کے دو ہونے سے بدلہ کچھ دستور نہیں
ادھر مرے گاندھی گولی سے ادھر لیاقت کھاتے ہیں.

هتيارے ہیں ایک، وےش دو، ایک مشن ہے ایک ہے انداز
یہ جمہوریت نہیں ملک میں آمریت چاہتے ہیں.








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