बुधवार, 12 जून 2013

गाँव वालों


         गाँव वालों! तैयार हो जाओ, तुमसे लोहा लेने आ रहा है एक बाजीगर अपने किरदार के लिए, नहीं नहीं सरदार के लिए . एक कील भी घर में हो तो जाकर उसके ताबूत में ठोक आओ. वैसे सुना है जो तलवार वो घुमा रहा था वो भोथरी निकली. एक बूढ़े महारथी का ही उससे मुकाबला नहीं किया जा सका तो आगे की जंग कैसे लड़ी जायेगी ?  इसके लिए नयी तलवार चाहिए .तलवार के लिए लोहा चाहिए.अब पता नहीं उसे कोई दे या न दे इसलिए कहा गया कि सरदार की प्रतिमा बनानी है वो भी दुनिया में सबसे ऊँची [छोटी तो कोई बात ही नहीं करते  जब हांकते हैं ऊँची हांकते हैं] उसके लिए लोहा दो. अब दो उसके लिए लोहा.  वैसे ये पक्की बात है कि प्रतिमा बने या न बने उससे चाकू छुरे जरूर बनेगें. वो इस्तेमाल भी घर में ही होंगे क्योंकि बाहर वाले तो चाकू छुरों से डरते नहीं हैं .वो तो अब आर दी एक्स इस्तेमाल करते हैं .  हाँ इन्हें दिखाकर बूढ़े बापू को, पडौसी रहमान चाचा, रसूलन  ताई को जरूर धमकाया जा सकता है  जिससे वो घर से बाहर निकलकर चुनाव फुनाव जैसे अधार्मिक और गैर संस्कृतिक कार्यक्रमों से दूर रहें. ऐसे ही एक अरसे से भगवान राम का भव्य मंदिर निर्माण करने के नाम पर गाँव गाँव से ईंटे बटोरी गई .पता नहीं उन ईंटों का क्या हुआ ? मंदिर तो कहीं नहीं बना है.सुना है वे अब बस परिवार में सिर फुटव्वल के काम आने ही वाली थी कि मोहन जी ने भागवत कथा बांचकर आपद धर्म का मर्म समझाया. कल तक जो वानरों  की तरह उछल कूद रहे थे वो तत्काल दक्ष: [सावधान] हो गए. भागवत कथा के मोहन मन्त्र समझे और  सब मुंडी हिलाने लगे कि नहीं नहीं किसी के ह्रदय को चोट  नहीं पहुंचाई  जायेगी .क़त्ल तो होगा लेकिन जंग खायी तलवारों से नहीं होगा .इससे इन्फेक्शन  फैलता है. नयी तलवार से होगा.बस इसके लिए थोडा वक्त चाहिए.लोहा इकठ्ठा करना है .गुजरात में तो लोहा मिलता नहीं है.गुजरात में तो पेट्रोल है जो ट्रेन जलाने के काम आ सकता है या आदमी जलाने के. लोहा कोयला जहाँ है वहाँ नक्सलवादी माओवादी बंदूकें ताने हैं.इसलिए लोहा कहाँ से मिले ? सोचा ये गया है कि गाँव वालों के पास आलतू फालतू के जो खुरपे फावड़े हैं उन्हें लिया जाए और उन्हें गलाकर इस्तेमाल किया जाए.सो गाँव वालों राम लीला अब ख़त्म हो गयी.अब वो वक्त करीब आ पहुंचा है जब तख़्त गिराये जायेगें जब ताज उछाले जायेंगे. सब लोग अपने हंसिया, कुदाल संभाल लो और लोहा देने नहीं लोहा लेने के लिए तैयार हो जाओ.  इन्कलाब जिंदाबाद.      

                        
            

1 टिप्पणी:

  1. .

    फारिस अंसारी बागी - कुछ भी हो दोस्त .......पर ये फकुआ बहुत बड़ा नौटंकी बाज है ....लगता है ससुरा पहले मदारी का काम करता रहा है .....


    सुरिंदर सिंह -गुड पोस्ट


    नीरज जैन - अब किसानों की रोज़ी रोटी भी इसे खटक गयी लगता है ?

    रोमेश यादव - नमो विल रूल

    रोमेश यादव- लायिक इट और नोट

    ऋषि चतुर्वेदी - मोदी जी बड़े चलो हम आपके साथ हैं .....

    अटल बिहारी शर्मा - अब आखिरी कील किस के ताबूत में ठुकेगी,यह तो वक्त बताएगा .


    मल्होत्रा संजीव - सर जी इतना भी उतावलापन क्यूँ हो थोडा और इंतज़ार करिए 2014 तक का बस फिर एक नया युग आने वाला है

    राहुल जाधव - हे जय श्री राम ……. आज तो तय हो गया … तुझ से भी उपर कोई मोहन भगवतिया है

    एस .यु . सैयद - मधुर जी , क्या लोहा लिया है आपने . देखिये कहीं कथा वाचक आपको भागवत कथा सुनाने न आ जाएँ . सावधान रहिएगा .

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