शुक्रवार, 14 जून 2013

मुमताज़ राशिद की गजलें

                                     1
दर्द की बारिश सही मद्धम, ज़रा आहिस्ता चल
दिल की मिट्टी है अभी तक नम, ज़रा आहिस्ता चल.

तेरे मिलने और फिर तेरे बिछड जाने के बीच
फासला रुसवाई का है कम, ज़रा आहिस्ता चल.

अपने दिल ही में नहीं है उस की महरूमी की याद
उस की आँखों में भी है शबनम, ज़रा आहिस्ता चल.

कोई भी हो हम-सफ़र 'राशिद' न हो खुश इस क़दर
अब के लोगों में वफ़ा है कम, ज़रा आहिस्ता चल .
                                 

                             2

आज भी हैं मेरे क़दमों के निशां आवारा

तेरी गलियों में भटकते थे जहाँ आवारा.


तुझ से क्या बिछडे तो ये हो गई अपनी हालत

जैसे हो जाए हवाओं में धुंआ आवारा.


मेरे शेरों की थी पहचान उसी के दम से

उस को खो कर हुए बेनाम-ओ-निशां आवारा'


जिसको भी चाहा उसे टूट के चाहा "रशीद"

कम मिलेंगे तुम्हें हम जैसे यहाँ आवारा .

                                           -मुमताज़ रशीद

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