जलेस मेरठ جلیس میرٹھ
जनवादी लेखक संघ मेरठ جناوادئ لکھاک سنگھ میرٹھ
शुक्रवार, 7 जून 2013
नींद
मैं गहरी नींद सोया हूँ
अगर तुम ख्वाब में आओ
मुझे थोडा जगा देना
तुम्हें एक बार मन भर
देखने की ख्वाहिशें दिल में
मुझे मरने नहीं देती
मुझे जीने नहीं देती.
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