शुक्रवार, 19 जुलाई 2013

संविधान में हिन्दुस्तान

अमरनाथ 'मधुर' -इस देश का नाम हिन्दुस्तान न संविधान में लिखा है न किसी प्राचीन धर्म ग्रन्थ में लिखा है .अगर ये नाम इतना ही सार्थक होता जितना कुछ लोग कहते हैं तो संविधान सभा संविधान में देश का यही नाम रखती.अब जो नाम असवैधानिक है उसे क्यूँ माना जाए ?

  • बी.कामेश्वर राव - संविधान ने इस देश को कोई नाम दिया ही नहीं "India that is Bharat shall be a union of states".
    14 hours ago · Unlike · 1
  • Amarnath Madhur "India that is Bharat likha hai to yahi naam hai.
  • अमरनाथ 'मधुर' - नहीं अच्छा हिन्दुस्तान भी लगता है लेकिन उसे संवैधानिक मान्यता भी मिलनी चाहिए .एक देश के कई नाम हो सकते हैं. लेकिन मैं ने बात के लिए ये सवाल उठाया वो ये है कि लोग बताएं कि वो देश का नाम हिन्दुस्तान पसंद करते हैं या नहीं ? अगर करते हैं तो क्या यह मांग नहीं कि जानी चाहिए कि जिस तरह संविधान में लिखा है इंडिया दैट इज भारत उसी तरह हिन्दुस्तान भी लिखा जाए .आखिर फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी .
  • श्रीनिवास  राय  शंकर - हिंदुस्तान नाम अच्छा लगता तो है ,पर विभाजन के बाद सिन्धु नदी के भारत में न रहने से उसके मूल अर्थ को समझने के बाद यह नाम अपना अर्थ खो चुका है.सिन्धु के किनारे तो अब पाकिस्तानी बसते हैं..भारतीय नहीं..और जो सिन्धु के किनारे रह रह रहे हैं..उन्हें सिन्धु की प्राचीन संस्कृति से नफ़रत है..वे..सिन्धुस्तान भी नहीं झेल सकेंगे...पर नाम बड़ा खुबसूरत है..वैसे india नाम भी इंडस से निकलने से सिन्धु को ही प्रतिध्वनित करता है.
    10 hours ago · Unlike · 3
  • उज्जवल भट्टाचार्य - अरारात पर्वत आर्मेनिया के पांच राष्ट्रीय प्रतीकों में से एक है. यह पर्वत आज तुर्की के क्षेत्र में है.
    10 hours ago · Like · 1
  • अमरनाथ 'मधुर' - ये बात सच नहीं है .सिन्धी और पख्तून अपने प्राचीन इतिहास और संस्कृति पर गर्व करते हैं .सीमान्त गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान के सुपुत्र खान वली खान का कहना था हम हजार साल से मुसलमान है और पचास साल से पाकिस्तानी हैं लेकिन हम पांच हजार साल से पख्तून हैं .
    9 hours ago · Like · 1
  • श्रीनिवास  राय  शंकर  - लगता है की दा आप हिंदुस्तान नाम को अभी भी प्रासंगिक मानते हैं.
  • अमरनाथ 'मधुर'  -क्या  आपको  इससे  लगाव  नहीं  महसूस  होता  है ?
  • श्रीनिवास  राय  शंकर  - मुझे तो पूरे भारतीय up महाद्वीप से बहुत लगाव है..जिसमे कभी भारतीय संस्कृति फलती-फूलती थी...वक्त फिर बदलेगा..लेकिन जैसा की सीमान्त गांधी का आपने नाम लिया..वे अकेले बड़े मुस्लिम नहीं बल्कि राष्ट्रीय नेता नेता थे..जो लाल कुर्ती सेना के साथ अंत तक बिभाजन के बिरुद्ध डटे रहे..परन्तु उनके साथ पकिस्तान के रहनुमाओं ने कभी अच्छा सलूक नहीं किया..आज उनका कोई नामलेवा वहां नहीं दिखता.
    9 hours ago · Unlike · 1
  • श्रीनिवास  राय  शंकर  - खैर भारत में भी कोई अब अपनी जड़ो पर गर्व नहीं करता तो पाकिस्तानियो को ही पूरा दोष क्यों दिया जाये..दरअसल अंग्रेजो ने हमारी मानसिकता में येसा खोखलापन भर दिया ..की हमारा निजी आत्मविश्वास अपनी सभ्यता ..संस्कृति से हिल गया है..उसी का असर भारत से लेकर पाकिस्तान तक दिखता है.
    9 hours ago · Unlike · 1
  • अमरनाथ 'मधुर' - आपने मेरे दिल कि बात कही है यही कहने के लिए मैं ये भूमिका लिख रहा था.अभी हिंदुत्व वादी नहीं आये देखें क्या कहते हैं ?
  • उज्जवल भट्टाचार्य - जी हां, मैं हिंदुस्तान और हिंदुस्तानी को प्रासंगिक मानता हूं...और इसका अहसास मुझे पाकिस्तानी दोस्तों के साथ बातचीत से (भी) हुआ...मेरे उदारवादी "सेकुलर" पाकिस्तानी दोस्त बेझिझक पूरे दक्षिण एशिया के लिये हिंदुस्तानी शब्द का प्रयोग करते हैं, हम जब अपने मुल्क को हिंदुस्तान कहते हैं, उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती, जबकि अनुदारवादी पाकिस्तानी हमेशा भारत कहते हैं...वे हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग न अपने संदर्भ में करते हैं और न ही उन्हें यह मंज़ूर है कि भारत के लोग अपने लिये हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग करें. दरअसल उनका कहना है कि 14 अगस्त, 1947 को हिंदुस्तान की मौत हो गई. 
    मेरे पाकिस्तानी उदारवादी "सेकुलर" दोस्तों के साथ मेरा भी मानना है कि तीन अलग-अलग राज्यसत्ताओं की स्थापना के साथ तारीख़ और तहज़ीब ख़त्म नहीं हो गई...और हिंदुस्तानी एक ऐसा शब्द है, जिसका ताल्लुक तारीख़, तहज़ीब...और भाषा के साथ है. राज्यसत्ता चाहे तीन हो या तेईस, तारीख़, तहज़ीब और ज़ुबान के ज़रिये हम जुड़े रहेंगे, और वे भी एक नहीं हैं, उनकी अनेक धारायें हैं...वे जुड़कर ही हिंदुस्तानी बनते हैं. लेकिन उसकी पहली शर्त यह है कि हम इस बात को मानकर चलें कि हम एक नहीं, दीगर हैं...और दीगर रहकर ही हम जुड़ सकते हैं.
    9 hours ago · Unlike · 2
  • उज्जवल भट्टाचार्य - और हां...हिंदुस्तान हिंदुस्थान नहीं है.
    9 hours ago · Unlike · 3
  • श्रीनिवास  राय  शंकर  - जिन साझा चीजो की बात आपने करी है..क्या वही संस्कृति और राष्ट्रीयता का निर्माण करती है..क्या इस महाद्वीप की राष्ट्रीयता एक है..राज्य..भले आज तीन हो गए हैं...?या आप किन्ही और चीजों की और इशारा कर रहे हैं..?
  • उज्जवल भट्टाचार्य - ये सभी सांस्कृतिक आयाम हैं, जिनके आधार पर राष्ट्र के निर्माण की परिकल्पना सामने आई...एक यूरोपीय परिकल्पना...जहां तक आजके भारतीय भूगोल का सवाल है, तो राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया शुरू होने से पहले यूरोप की जो हालत थी, वही यहां पर भी थी. प्राचीन भारत में नंद और मौर्य वंश के साथ साम्राज्य की स्थापना की शुरुआत हुई, जिनमें राष्ट्रीयता के प्रश्न के सामने आने की संभावना नहीं थी, सल्तनत और मुगलिया दौर में भी सुल्तान और बादशाह की उदारता के सापेक्ष बहुलता के सिद्धांत को ही मानकर चला गया. हमारी राष्ट्रीयता उपनिवेशवाद से संघर्ष के दौरान विकसित हुई, जिसमें धार्मिक संप्रदाय आधारित परिकल्पना और एक समावेशी परिकल्पना उभरीं. भारत और बांगलादेश में अभी तक इन दोनों परिकल्पनाओं के बीच द्वंद्व जारी है. मेरी राय में पाकिस्तान में भी वह उभरेगा...और यह द्वंद्व एक ऐसे समय में उभर रहा है, जब सारे विश्व में राष्ट्रवाद केवल एक नकारात्मक चेहरे के साथ सामने आ रहा है. आजके राष्ट्रवादी नेहरू, नासिर, सुकर्ण नहीं, बल्कि मिलोसेविच, टुजमान या गमज़ाखुर्दिया हैं, जिनकी वजह से उनके राजनीतिक भौगोलिक क्षेत्र में नकारात्मक विकास ही देखने को मिले हैं.
    6 hours ago · Unlike · 1
  • उज्जवल भट्टाचार्य - वैसे राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया से स्वतंत्र सांस्कृतिक आयामों की प्रासंगिकता बनी रहेगी...अगर उन्हें राष्ट्रीय पहचान से अलग करके देखा जाये, तो इतिहास के मानवतावादी विकास में उनकी महान भूमिका होगी. लेकिन यह सब अभी भविष्य के गर्भ में है.
    6 hours ago · Unlike · 2
  • श्रीनिवास  राय  शंकर- आपकी टिप्पड़ी उस महत्वपूर्ण बात को रेखांकित करती है..की..संस्कृति..मानवता..और इतिहास के मानवतावादी दृष्टिकोण का विकास अधिक महत्व पूर्ण होना चाहिए..जिसे नजरंदाज किया जाता रहा है..और इतिहास की सत्ता अथवा बर्चस्व आधारित ब्याख्या..मनुष्यता के विकास को पूरी तरह से नजरअंदाज करती आई है.सच है..और हमेशा शायद यह मनुष्य के किसी कोने में छिपी अतिवादिता के चलते हुआ है.
    5 hours ago · Unlike · 1
  • श्रीनिवास  राय  शंकर  - और यह भी की मानवता राष्ट्र से बड़ी है..यह विचार अभी दुनिया के विमर्श में अपना स्थान नहीं बना सका है.
    5 hours ago · Edited · Unlike · 1
  • रवि शंकर - संविधान सभा का इतिहास पढ़ें, तो यह साफ हो जाएगा कि उनमें भारत भक्ति से अधिक अंग्रेज भक्ति थी। उन्होंने कोई संविधान नहीं बनाया था, 1935 के विधान को थोड़ा ठीक-ठाक कर लिया था। महात्मा गांधी उस सभा के विरोध में थे। उस समय देश ही नहीं दुनिया भर को लोग भारत को हिंदुस्तान ही कहते थे और यहां रहने वालों को हिंदू। विल ड्यूरांट की किताब द केस फार इंडिया पढ़ें। उसमें हिंदुस्तानी शब्द भी नहीं मिलेगा, केवल हिंदू ही लिखा मिलेगा। वैसे झंडा कमिटी ने भारत के लिए वैधानिक झंडे के लिए भगवा झंडे का समर्थन किया था। इस कमिटि में नेहरू, मौलाना आजाद और मास्टर तारासिंह जैसे लोग भी थे। परंतु हमारी संविधान सभा ने उस पर कहां विचार किया। उनकी सोच में ही भारत नहीं था, होता तो वे इस देश को इंडिया कहने का दुस्साहस नहीं करते। पूरी दुनिया में कहीं भी Proper Noun का अनुवाद नहीं होता, भारत को छोड़ कर।
  • अमरनाथ 'मधुर' - एक सवाल उज्जवल जी से है कि अगर हिन्दुस्तान हिंदूस्थान नहीं है तो फिर हिन्दू स्थान कहाँ है ?
  • अमरनाथ 'मधुर' - आदरणीय रविशंकर जी ने एक साथ कई सवाल खड़े किये हैं .वे कहते हैं प्रोपर नाउन का अनुवाद नहीं होता है . हाँ नहीं होता है लेकिन इंडिया भारत का अनुवाद नहीं है .यह इस देश का एक सार्थक नाम है जिसे यूनानियों ने अपनी भाषा में पुकारा है .यह भी उसी सिन्धु या सिंध नाम से बना है जिससे हिन्द या हिन्दू नाम बने हैं. भगवा झंडें को राष्ट्रिय झंडा बनाने कि जो बात कही गयी है उस पर थोडा गहराई से विचार करने कि जरुरत है .मुझे नहीं पता कि भगवा झंडा भारत के किन किन महान सम्राटों का झंडा रहा है .मुझे ये भी नहीं पता है कि क्या यह हमारे सभी धार्मिक सम्प्रदायों और सन्यासी अखाड़ों की ध्वजा है या नहीं है ? लेकिन जैसा कि प्रचारित किया जाता है यह हिन्दू सांस्कृतिक ध्वजा है. इसे मानने में मुझे कोई हिचक नहीं है.इस पृष्ठभूमि को देखते हुए अगर इसे राष्ट्रीय ध्वज नहीं बनाया गया और एक विस्तृत प्रतीकों वाले ध्वज को राष्ट्रिय ध्वज बनाया गया तो सही ही किया है . हाँ इस तिरंगे ध्वज का कोई बहुत पुराना इतिहास नहीं है सिवाय इसके कि स्वतंत्रता आन्दोलन में चरखे वाला तिरंगा काग्रेस का झंडा था .

    • हैदर रिज़वी - कहीं उस संविधान की बात तो नहीं कर रहे जो अंग्रेज़ी में लिखा गया था???


      • बी.कामेश्वर राव मिश्र के झंडे से भारत का तिरंगा बहुत सामान है.
        22 hours ago · Unlike · 1
      • रवि शंकर मित्रवर, अपने आप को धोखा न दें। आपने कहीं भी अंग्रेजी में भारत लिखा देखा है तो मुझे दिखाएं। मिल ही नहीं सकता। सरकार ने यह अनुवाद ही किया है। यूनानी उसे याद रहे परंतु अरबों को भूल गए, वे तो हिंदुस्तानी ही कहते रहे हैं। रही बात भगवा झंडे की तो मेरा कहना है कि आखिर झंडा कमिटि में तो सभी पंथों के लोग थे। उन्होंने जब भगवा को इस देश के प्रतीक के रूप में स्वीकार कर लिया तो दिक्कत किसे हुई? तिरंगा तो नकल करके बनाया गया है। नकल करके देश का विकास नहीं होता, उसके लिए मौलिक होना पड़ता है। तिरंगा में कुछ भी मौलिक नहीं है। इसी प्रकार इंडिया में भी कुछ भी मौलिक नहीं है। संविधान में ही कुछ भी मौलिक नहीं है। इन सवके रहते आप कभी विकास कर ही नहीं सकते। नकल कर सकते हैं।
        15 hours ago · Unlike · 3
      • Amarnath Madhur मेगास्थनीज ने एक पुस्तक लिखी थी इंडिका जिसका अर्थ है नदियों का देश. भारत जैसा नदियों की बहुलता वाला देश दुनिया में दूसरा नहीं है .इसलिए इसका नाम इण्डिया जो इंडिका से ही बना है सार्थक है .हिन्दुस्तान नाम की क्या सार्थकता है ?इस पर थोडा प्रकाश डालेंगे तो बात समझ में आएगी. भारत नाम प्राचीन है और राहुल संस्क्रत्यान ने लिखा है की पहले बिहार में भर नाम की जाति रहती थी .

      • रवि शंकर प्रभु आपने या आपके किसी मित्र ने या फिर आपके किसी जाने-माने इतिहासकार ने यह इंडिका नाम का ग्रंथ देखा हो तो मुझे अवश्य बताएं। जहां तक मैंने इतिहास पढ़ा है, यह ग्रंथ किसी ने देखा ही नहीं है। ऐसी सुनी-सुनाई बातों पर आज के इतिहासकार तो विश्वास करते नहीं। यदि करते होते तो रामायण और महाभारत उनके लिए मिथ नहीं इतिहास ही होते परंतु नहीं, ऐसा नहीं है। रही बात राहुल जी की तो उनसे ज्यादा प्रामाणिक तो विष्णुपुराण है जो सीधा सीधा भारत की परिभाषा दे रहा है। और जो सार्थकता इंडिया की है वही हिंदुस्तान की भी है। दोनों ही नाम विदेशियों ने दिए हैं। इस पर भी हिंदुस्तान नाम अधिक पुराना है। यहां मैं यह बता देना उचित समझता हूँ कि मैं इन दोनों ही नामों को पसंद नहीं करता। मैरा नाम मेरे माता-पिता या मेरे पुरखे ही रखेंगे, नकि कोई बाहर से आए अनजाने लोग। और इस देश का नाम हमारे पुरखों ने भारत रखा था न कि इंडिया या हिंतुस्तान।
        2 hours ago · Edited · Unlike · 1

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