बुधवार, 11 सितंबर 2013

'उत्तर दो दंगाई '


बच्चे से नहीं पूछता
कोई उसका देश,
कोई उसका धर्म,

कोई उसकी जाति,

कोई उसकी भाषा,
कोई उसका रंग,
बच्चा जो देता है
एक मासूम हँसी,
भोलापन,
बिना अपराध की
शरारत का ढंग.

फिर बच्चे से क्यूँ
छीन लेते हैं
उसकी माँ,                                                               
उसका पिता,
उससे उसकी खुशियों
का संग

उत्तर दो दंगाई                                            

उत्तर दो ?


घर में तुम्हारे भी

एक मासूम बच्चा तो होगा ?
क्या तुम चाहोगे
उसका भूख से बिलबिलाना ?
दर्द से छटपटाना ?
या फिर उसका अनाथ हो जाना ?
दंगों में मारे जाना ?
क्या तुम चाहोगे ?

उत्तर दो दंगाई
उत्तर दो ?


------- अमर नाथ 'मधुर'

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