एक किस्सा बहुत सुना है कि किसी स्त्री का पति फ़ौज में सरहद पर तैनात था. गाँव में सबके खेतों में बुवाई लगभग पूरी हो रही थी लेकिन उसके खेत खाली पड़े थे. खेत की बुवाई का समय बीत रहा था .चिंतित पत्नी ने अपने पति को ख़त लिखा कि लगता है अबकी बार खेत परती रह जायेंगे. खेतों में जुताई नहीं हो सकी है . पति ने जबाबी ख़त लिखा कि खेतों की बिल्कुल जुताई खुदाई मत कराना मैंने उसमें हथियार दबा रखें हैं .
अब हुआ ये कि ख़त के घर पहुँचने से पहले ही उसके गाँव में फौंजी पहुँच गए और दबे हुए हथियार खोजने के लिए उसके खेत को खूब गहराई तक खोद डाला. फौजी की पत्नी से भी हथियारों के बारे में पूछताछ की गयी. लेकिन हथियार होते तो मिलते. फौजियों के जाते ही उसने अपने पति को ख़त लिखा कि यहाँ बहुत गडबड हो गयी है. फौजी आये थे सारा खेत खोद डाला है. तुम सावधान रहना वे हथियारों के बारे में पूछ ताछ कर रहें हैं .
पति ने जबाब में लिखा तुम मेरी चिंता न करो और अब बेफिक्र होकर खेत में बीज बो दो .
आप समझ रहें हैं न कि सीधे लोग भी कभी कभी उंगली टेढ़ी करके काम निकालते हैं .अब पता नहीं साधू शोभन सरकार का कौन सा काम अटका है जो सोना होने की बात कहकर सरकार से जमीन खुदवा रहा है .कहीं ऐसा तो नहीं है कि जमीन के अन्दर कोई मूर्ती वगैरह दबा दी हो और फिर उसकी स्थापना के लिए मंदिर निर्माण का आन्दोलन चलाने में जुट जाए ? हजार टन सोना होने की बात कुछ हजम नहीं हो रही है . सरकार भी भ्रमित हो गयी लगाती है .असल में सरकार भी तो धर्म भीरू लोग ही चला रहें हैं .इसलिए उसने बगैर किसी पुख्ता प्रमाण के खुदाई शुरू करा दी है .
सारे देश में खुदाई अभियान शुरू कर देना चाहिए.इतना पुराना देश है अनेक जगह बहुत कुछ दबा हुआ मिलेगा. सोने की चिड़िया पहले से कहाता है इसलिए सोना मिलाने की उम्मीद ज्यादा है .देश को आज सोने की जरुरत भी है .जमीन के नीचे दबा सोना मिल जाएगा तो सरकार को अपना सोना बेचने की जरुरत नहीं पड़ेगी और अगर नहीं मिलेगा तो लोगों को मजदूरी तो मिलेगी ही .वैसे भी मनारेगा में पैसा मजदूर के हाथ तक पहुंचाने के अलावा और क्या किया जा रहा है ?
जिस साधू को सपने में भी सोना दिखता हो उसके साधू होने पर शंका होती है लेकिन अंध श्रद्धा में डूबे भक्त गण हमारी शंका का समाधान करने की बाजए आंखें तरेरने लगते हैं .ऐसे बहुत से भक्त साधुओं को खोज खोज कर उनकी सेवा करने में जुट गएँ हैं .साधू महाराज के मजें हैं .पड़े पड़े हलुआ खीर पेल रहें हैं . भक्त जनों की आशा है एकाध टन न सही तोला दो तोला सोना बाबाजी उन्हें भी दिल सकते हैं .बाबाजी चेलों के बहुत दिक् करने पर बहुत खप हो जाते हैं और अपना चीमटा उठाकर मारने के लिए भी दौड़ पड़ते हैं . लेकिन भक्त हैं कि गालियाँ और मार खाकर भी साधू बाबा को खुश करने में लगें हैं .इसमें कष्ट तो है लेकिन आखिर बिना कष्ट उठायें कहीं कुछ मिलता है ? इसलिए ये सब तो सहन करना ही पड़ेगा .
ऐसे तमाम भक्त जनों से अनुरोध है कि वे प्रेमचन्द साहित्य से उनकी कहानी लाटरी अवश्य पढ़ लें . कहानी के नायक की तरह उनका भाग्योदय नहीं हुआ तो उन्हें भी बाबाजी की सेवा करने के लिए हंटर का इस्तेमाल करने का हौसला भी रखना चाहिए. आखिर इतना टेंशन जो दिए हैं .
अपनी सारी शंकाओं के बावजूद सपनों के सच होने की एकाध घटना मेरे अनुभव में भी है .लेकिन व्यक्तिगत अनुभव को मैं समाज का आईना नहीं बना सकता हूँ . इसके लिए कोई आधार होना चाहिए जबकि मेरे सपने का कोई आधार नहीं है .
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