गुरुवार, 31 अक्तूबर 2013

गुरूजी का ज्ञान ,कश्मीर की समस्या और सरदार पटेल


कुछ  मिथ्या  बातों का  इतना  प्रचार  हुआ  है  कि  वे  सत्य  प्रतीत  होने लगी  हैं .जैसे  एक  ये  कि  कश्मीर   की  समस्या   नेहरु  जी  के  कारण   है.  अगर  सरदार  पटेल  भारत  के  पहले  प्रधानमंत्री  होते  तो  हैदराबाद और  जूनागढ़   की  रियासतों  की  तरह  कश्मीर  का  भी  भारत  में  विलय  हो  जाता .
ऐसा  कहने  वाले  कश्मीर  की  भौगोलिक  स्थिति   को  नजर   अंदाज   करते   हैं.कश्मीर  पाकिस्तान  से   सटा हुआ  है  जबकि   जूनागढ़  और  हैदराबाद  पाकिस्तान  से  दूर  थे  और  पाकिस्तान  द्वारा  वहाँ  किसी  तरह  के हस्तक्षेप की  सहूलियत   नहीं  थी .  कश्मीर  में  उसके  लिए  ये  सब  करना  सहज  था .
एक  और  महत्वपूर्ण  बात  जिसे  अक्सर भुला  दिया  जाता  है,  वो  ये  है  कि  कश्मीर  की जनता ,राजा  या     कश्मीर के प्रमुख नेता  शेख  अब्दुल्ला में से  कोई  भी  कश्मीर  का पाकिस्तान में  विलय   नहीं  चाहता था . किन्तु कश्मीर  को  स्वतंत्र  देखने  की  आकांक्षा  सबकी  थी  तथा  राजा  हरिसिंह  ने  इसके  लिए  भारत और  पाकिस्तान  दोनों  देशों  के  हुकुमरानों  से  सौदेबाजी  की . लेकिन  पाकिस्तान  ने  बिना  समय  गवांये सारी राजनीतिक  मर्यादाओं  को  ताक  पर  रख  कर  कश्मीर पर कब्ज़ा करने के लिए  घुसपैठ  शुरू  कर  दी.इसी  के  साथ  दहशत  और  बर्बादी  का  खेल  भी  खेला  जाने  लगा  ताकि  राजा  हरिसिंह  उसके  आगे  घुटने  टेक  दे . लेकिन  शेख  अब्दुल्ला ,नेहरु  जी  और  राजा हरिसिंह की  दूरदर्शिता  से  कश्मीर  सशर्त  भारत  में  शामिल  हो  गया .
       कश्मीर  का  भारत  में  विलय  सरदार  पटेल  की  सहमति  के  बिना  नहीं  हो  सकता  था .ऐसे  में  ये  कहना  कि सरदार  पटेल  होते  तो  हैदराबाद  की  तरह  कश्मीर का भी  भारत  में  शामिल  कर  लेते  सही नहीं  है . ताकत  से  ही  अगर  ऐसी  समस्याएं  सुलझती  होती  तो  पूर्वोत्तर भारत  में  दशकों  तक  खून  खराबा  नहीं  होता . पूर्वोत्तर की सीमा और सीमान्त प्रदेश अशांत और असुरक्षित न होते .गृह मंत्री के नाते सरदार पटेल की  इस  सम्बन्ध  में क्या  योजनाएं और विचार  थे इसका कोई जिक्र नहीं करता  है.

  अत: जो लोग सरदार पटेल को नेहरु  के बरअक्श खड़ा  करके उनके बड़े कद की छांव में अपनी बदहवाशी  का गन्दा पसीना पोंछना चाहते हैं वो ये जान लें कि अगर सरदार पटेल प्रधानमंत्री होते तो और कुछ होता या न होता समाज में साम्प्रदायिकता का उन्माद  फैलाने वाले यूँ बेलगाम न घूमते होते .वे समूल नष्ट  कर दिए जाते. सरदार पटेल इतना बर्दाश्त नहीं करते जितना नेहरु जी के वारिस कर रहें हैं . एक उदार लोकतांत्रिक राष्ट्रीय महापुरुष  की विरासत का यही प्रभाव है कि राष्ट की शान्ति और अखंडता के के लिए घातक विचारधारा के लोग भी अपनी विचारधारा के  विस्तार में लगे हैं और उन्हें बल  पूर्वक ख़त्म करने की बजाये उनका मुकाबला  जनतांत्रिक  तरीके  से किया  जा  रहा है .
झूठा  इतिहास गढ़ने में संघ वालों का कोई सानी नहीं है .लेकिन  भूगोल  का ज्ञान  तो और भी अदभुत है .
एक बार गोलवलकर ने गाँधी जी से कहा कि आर आर एस एस भारत में रहने वाले उन सभी नागरिकों  को  हिन्दू मानता है जिनके पूर्वज यहीं के रहने वालें हैं.
गाँधी जी ने कहा कि भारत में आर्य लोग तो बाहर से आयें हैं क्या तुम उन्हें हिन्दू नहीं मानते हो ?
गोलवलकर ने कहा कि नहीं आर्य यहीं के रहने वालें हैं. वे बाहर से नहीं आयें हैं .
गाँधी जी ने कहा कि पंडित लोकमान्य तिलक  उन्हें उत्तरी ध्रुव का निवासी लिखते  हैं .
गोलवलकर ने कहा कि तिलक जी ठीक कहते हैं .पहले उत्तरी  ध्रुव  बिहार में था. बाद में भौगोलिक परिवर्तन से वह  साइबेरिया  के उत्तर में पहुँच गया .
देखा आपने हमारे गुरूजी का ज्ञान ? उत्तरी ध्रुव हिमालय पर्वत लाँघकर बिहार से साइबेरिया के पार पहुँच गया . अब जिनके गुरूजी ऐसा भूगोल और इतिहास पढ़ाते हों उसका  शिष्य तक्षशिला को पाकिस्तान से बिहार में क्यूँ नहीं पहुंचा सकता है ?
लेकिन इससे भी ज्यादा बेहयाई  तो फेकुलर दिखा रहें हैं .वो पहले तो अपने नेता के इतिहास और भूगोल के ज्ञान पर कुछ बोलने को ही तैयार नहीं हैं उनसे जबाब  पूछो तो केंद्र सरकार और बिहार सरकार की नाकामियां गिनाने लगते हैं लेकिन अपने नेता की भूल स्वीकारने को तैयार नहीं है .कुछ तो दावा कर रहें हैं कि उनके नेता के भाषण में भारत का भविष्य बोल रहा है . तक्षशिला तक उनके शासन में आ जाएगा इसलिए उनके लिए तक्षशिला अभी  से बिहार में आ गया है .
ठीक है जी आपकी बात माने लेते हैं तक्षशिला भारत में आ जाएगा लेकिन सिकंदर को  गंगा  तट  तक लाने  का अपराध  मत  करना.   ये हम सहन नहीं  कर सकते  हैं . भारत में अभी   भी चन्द्रगुप्त  मोर्य  और चाणक्य   जन्म लेते हैंऔर बिहार भी अभी  महापदम्  नन्द  का शौर्य  रखता  है .इसलिए सिकंदर  को गंगा  तट  तक लाने  वाले उसके आंखें  तरेरते  ही बाहर भाग  जायेंगे. नितीश बाबू  भी बता रहें हैं कि वो आज भी बहुत अच्छी  पुड़िया   बाँध  सकते   हैं.जिसकी  बाँध  देंगे  खुलेगी  नहीं .

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