ये हो ही नहीं सकता था कि मोदी की रैली पटना में हो और कोई दुर्घटना न हो .मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई है. राज्य या केंद्र की ख़ुफ़िया एजेंसियों ने ऐसी कोई रिपोर्ट ही नहीं दी कि कुछ अनहोनी हो सकती है .
कमाल है ऐसे बयान दिया जा रहा है जैसे खुफिया एजेंसी अमेरिका या चीन के अन्डर में काम करती हो जिसके काम काज की चूक के लिए इनकी कोई जिम्मेदारी ही नही हो. अगर ये एक बहु प्रचारित रैली की पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था नहीं कर सकते हैं तो फिर किस बूते मोदी के सामने ख़म ठोक रहें हैं ? आज मोदी ने नीतीश को हर दाँव से पटकनी दी है .इन बम धमाकों से नीतीश की प्रशासनिक क्षमता पर बड़ा सवालिया निशान लग गया है .
इस रैली की कई बातें आश्चर्यजनक हैं .जब मोदी भाषण दे रहे थे तब भी धमाके हो रहे थे लेकिन न भीड़ में कोई ख़ास अफरा तफरी थी न मोदी के चेहरे पर कोई शिकन थी .वो बड़े सधे ढंग से नीतीश,राहुल, कांग्रेस पिछड़ों, मुसलमानों सब पर निशाना साध रहे थे .उन्होंने यदुवंशियों को भी दुलारा, मुसलमानों को भी बहकाया लेकिन दलितों का नाम नहीं लिया .बिहार के दलित नेता राम विलास पासवान को तो बिलकुल ही भुला दिया .पासवान कभी दलितों के बड़े नेता हुए करते थे और बिहार की राजनीति में आज भी अपना ख़ास वजन रखते हैं .लेकिन लगता है भाजपा की नीति दलित नेताओं को खामोश रहकर देखते रहने की है उन पर टीका टिपण्णी करने की नहीं है ताकि वक्त जरुरत पर उन्हें इस्तेमाल करने में कठिनाई न हो या वो सोचते हैं कि हमारा काम इनके बगैर ही ठीक रहेगा.
बहरहाल अभी तो आने वाले चुनावी माहौल का आगाज हुआ है अंजाम तक क्या क्या होगा इसका अंदाजा लगा सकते हैं .
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