गुरुवार, 14 नवंबर 2013

नेहरु के सपनों का भारत

     

सबसे ऊंचे 'सरदार' के जवाब में सबसे बड़ा मंदिर !








[गुजरात में प्रस्तावित दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा यानी सरदार पटेल की प्रतिमा की योजना की आधारशिला रखे जाने के दो हफ़्ते बाद बुधवार को बिहार में दुनिया के सबसे ऊंचे हिंदू मंदिर के मॉडल के अनावरण किया गया.]


         चमचमाते [वाईब्रेंट]  विकास  और  सुशासन  का  दावा  करने वाले जब मूर्तियां और मंदिर  बनाने  को ही जन कल्याण का मन्त्र समझते  हों  तब  भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल  नेहरु  को श्रद्धा से नमन करने को मन करने लगता है. एक ऐसा स्वप्नद्रष्टा राजनीतिज्ञ जिसने भाखड़ा  नांगल बाँध और भिलाई,राउरकेला, दुर्गापुर आदि   के  इस्पात बनाने वाले कारखानों  को आधुनिक  भारत के मंदिर और तीर्थस्थल कहा था. जिसके दिखाए रास्ते पर चलते  हुए उसके वारिसों ने अन्टार्टिका से लेकर अंतरिक्ष तक की विजय का  मार्ग प्रशस्त किया. जिन्होंने  कभी  किसी  मंदिर के निर्माण की बात नहीं कही है. आज भी उनके एजेंडें में भारत को वैज्ञानिक और ओद्योगिक समृद्धि के मार्ग पर ले जाने के सूत्र शामिल हैं .
   भारत की जनता दोनों की तुलना कर यह  तय कर सकती है कि वह कैसे भारत में रहना पसंद करेगी पंडित नेहरु के वैज्ञानिक और ओद्योगिक दृष्टि से समृद्ध भारत में या हर मोड़ पर खड़े गगनचुम्बी भव्य मंदिरों के भारत में. मंदिरों के बाहर भूखे नंगें भारतीयों की लम्बी कतारें लगा करेंगी जिनसे बचकर मंदिर को देखने आने वाले विदेशी  पर्यटक  मंदिर का अवलोकन किया करेंगे. जबकि देश के औद्योगीकरण और वैज्ञानिक सोच के प्रसार से रोजगार उपलब्ध होगा. 
    यद्यपि ये भी सच है कि औद्योगीकरण की नयी नीतियों से किसानों और आदिवासियों का विस्थापन हुआ है तथा अमीर अधिक अमीर तथा गरीब अधिक गरीब हुए हैं जो कोई कम गम्भीर समस्या नहीं हैलेकिन वह अलग समस्या है जिसका समाधान भी देश में बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण और जनता में वैज्ञानिक चेतना के विस्तार से ही किया जा सकता है. लेकिन अगर जनता ही यह तय कर ले कि उसे उस नेता के पीछे चलना है जो विश्व में सबसे बड़ी मूर्ती  बनाये और विशाल भव्य मंदिर का निर्माण कराये तो फिर उसका कल्याण भी राम भरोसे ही रहेगा.   

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