मंगलवार, 5 नवंबर 2013

संघीय ढांचे का सवाल


              एक राज्य का मुख्यमंत्री और प्रधान मंत्री पद का दावेदार अपने एक हजार सिपाहियों और कई हजार समर्थकों के साथ दूसरे राज्य में रैली करता है जिसमें धमाकें होते हैं, लोग घायल होते हैं . लेकिन रैली के मंच से यही  घोषणा  होती  रहती  है कि  कुछ  नहीं हुआ है टायर फटा है ,पटाखें फटे हैं .कौन जानता है इस सबके पीछे कितने संघी और कितने खुपिया अधिकारियों का सहयोग होगा ? उन्हें  जिम्मेदारी से मुक्त नहीं किया जाना चाहिए . फिर यह नेता धमाकें में मारे गए मृतक के परिवार जनों से मिलने भी हजारों सिपाहियों के साथ जाता  है और राज्य सरकार टुकुर टुकुर देखती रहती है . जहाँ रैली के उसके इस असवैंधानिक आचरण पर यह यह सवाल है कि वह दूसरे राज्य की क़ानून व्यवस्था में दखलंदाजी  क्यों कर  रहा  है ? वहीँ  राज्य के मुख्यमंत्री  से भी यह सवाल है कि उसके शासन में ऐसी घटनाएं क्यों हो रही है ? और उसने राज्य में सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए क्या कार्यवाही की है ? गौर तलब है कि राज्य में पहले भी ऐसी बम विस्फोटों की घटनाएं  हुई हैं .
वहीँ दूसरी तरफ गुजरात में हिंसक घटनाओं में मारे गए स्वतंत्र सेनानी और सांसद एहसान जाफरी के परिवार जनों से मिलने वहाँ  के मुख्यमंत्री आज तक नहीं गए हैं .उनके   शासन में ऐसी दुखद वारदात हुई लेकिन अपने राज्य के हिंसा पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त करना तो दूर उन्होंने आज तक खेद भी नहीं जताया है.

         एक सवाल ये भी है कि जिस प्रकार मध्य युगीन आक्रमणकारी राजाओं   की तरह गुजरात का मुख्यमंत्री अपने लाव लश्कर के साथ बिहार जाता है  अगर उसी तरह  बिहार  का मुख्यमंत्री अपने सिपाहियों के साथ उसे रोकने के लिए अपने राज्य की सीमा पर पहुँच जाता तो उन्हें संघर्ष से कौन रोक सकता था ? मृतक परिवार के प्रति अपनी सारी सदभावनाओं और समवेदनाओं  के बावजूद यह सवाल तो बनता ही है कि यदि सभी मुख्यमंत्री ऐसा ही आचरण करने लगे तो देश के संघीय ढांचे का क्या होगा ?  अगर किसी राज्य में सुरक्षा व्यवस्था सही नहीं है और राज्य का शासन अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा रहा है तो केंद्र सरकार से शिकायत की जानी चाहिए न की स्वयं  अपनी फ़ौज लेकर जाना चाहिए.केंद्र सरकार अगर शिकायत को  सही पायेगी तो वह हस्तक्षेप करेगी लेकिन किसी दूसरे राज्य का मुख्यमंत्री अपने एक हजार सिपाही लेकर आये ये तो किसी भी तरह सही नहीं है.
 इस कार्य से बिहार के मुख्य मंत्री को ये अधिकार मिल जाएगा कि महाराष्ट्र या देश के किसी भी राज्य में बिहारियों के साथ अत्याचार हो तो वह अपने सिपाहियों को तुरंत उनकी हिफाजत के लिए भेज दे  क्यूँकि स्थानीय  प्रशासन और सरकारें तो भरोसे के लायक  नहीं हैं .  

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