हर साँस में खुश्बू है और गाल पे टेसू है
बलखाती हो जो नागिन लहराते यूँ गेसू है.
अब अपने बियाबाँ में आहट है बहारों की
उम्मीद से भी ज्यादा बारिश है इशारो की
किस्मत है हमारी या मौसम का तकाजा है
दिलबर ने मुझे 'मेरे महबूब' नवाजा है .
आने दो बहारों को,जन्नत के नजारों को
मैं मुद्दतों तरसा हूँ दिलबर के इशारों को
जी भर के मुझे अब तो महबूब से मिलने दो
बासंती ऋतु मेरे अंदर भी तो खिलने दो
कहता हूँ जमाने से वो बीच में ना आये
जो मिल रहे हैं दो दिल उनको न वो सताये.----------- अमरनाथ 'मधुर'
बलखाती हो जो नागिन लहराते यूँ गेसू है.
अब अपने बियाबाँ में आहट है बहारों की
उम्मीद से भी ज्यादा बारिश है इशारो की
किस्मत है हमारी या मौसम का तकाजा है
दिलबर ने मुझे 'मेरे महबूब' नवाजा है .
आने दो बहारों को,जन्नत के नजारों को
मैं मुद्दतों तरसा हूँ दिलबर के इशारों को
जी भर के मुझे अब तो महबूब से मिलने दो
बासंती ऋतु मेरे अंदर भी तो खिलने दो
कहता हूँ जमाने से वो बीच में ना आये
जो मिल रहे हैं दो दिल उनको न वो सताये.----------- अमरनाथ 'मधुर'
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें