शनिवार, 3 मई 2014

असम नरसंहार


   असम राज्य में है कांग्रेस की सरकार फिर भी भाजपा और संघ समर्थित बोडों आतंकवादियों द्वारा असम में मुसलमान का नरसंहार, यू पी में सपा सरकार ,मुजफ्फर नगर में संघ भाजपा समर्थकों द्वारा दंगा और लूटमार .समझ नहीं आता कि कैसे संघ भाजपा समर्थकों द्वारा दंगा और लूटमार की जाती है जबकि सरकारें उनके विरोधी दलों की होती हैं ? सरकार किसलिए होती है अगर वो दंगाईयों ,लुटेरों और हत्यारों से आम जनता की हिफाजत नहीं कर सकती है .

         कहा जा रहा है कि असम में मारे गए लोग बांग्लादेशी हैं ,भारतीय नहीं हैं .अगर ऐसा है तो ये और भी बड़ा अपराध है .जिस भारत में सारी दुनिया के लोगों को शरण मिलती रही है वहाँ अपने पड़ौसी देश के नागरिकों को यूँ बेरहमी से मार देना , भारत के मस्तक पर एक बड़ा कलंक है . अवैध घुसपैठियों के साथ मानवीय और विधिक दृष्टि से कार्यवाही से की चाहिए थी जो कि समय रहते नहीं की जाती है . अगर इस काण्ड में संघ और भाजपा के कार्यकर्ता संलिप्त भी पाये जाते हैं तब भी उनसे पहले भारत की संप्रभुता ,अखंडता और नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और नेताओं के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए .


        ये लो बात करो हिन्दुस्तान की ये गाएंगे जापान की . मेरे भाई अगर जापान ऐसे ही प्रतिबन्ध बौद्ध धर्म पर लगाता तो क्या वहाँ बौद्ध धर्म होता ? क्या आपको  जापान के बौद्ध देश होने पर गर्व नहीं है ? क्या इस्लाम का नाम आते ही सारी बुराईयाँ पैदा हो जाती हैं ? वैसे भी मैं कौन सा इस्लाम की हिमायत कर रहा हूँ  मैं तो इंसानियत की हिमायत कर रहा हूँ .दिक्कत ये है कि आप मरने वाले में पहले भारतीय और बांग्लादेशी देखते हो ,फिर हिन्दू मुसलमान देखते हो, बिहारी मराठी देखते हो , अगड़ा पिछड़ा देखते हो ,सवर्ण और दलित देखते हो .लेकिन ये तो बताओ जो बच्चा अभी अबोध है उसे कैसे तुम इन खांचों में बाँटते हो ? कुत्ते के पिल्लै के मरने का दर्द होता है लेकिन इंसान के मरने का नहीं . क्या कुत्ते के मरने पर यह देखते हो कि वो देशी है या विलायती ? वह पामोलिन है या जर्मन शेफर्ड ? क्या इंसान को जानवर जितनी भी सहानुभूति नहीं मिलनी चाहिए ?


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